मानव मल घोटाले में केजरीवाल सरकार और बिल गेट्स फाउंडेशन की साँठ-गाँठ

अक्टूबर 2013 में, सार्वजनिक और निजी शौचालयों से निकलने वाले मानव अपशिष्ट और गंदे पानी के उपचार के लिए भारत में नई तकनीक लाने के बिल गेट्स ने एक अभियान की शुरुआत की थी। जिसके तहत तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) ने भारत के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के सहयोग से कई मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा था। इस पहल के तहत विभिन्न स्थानों पर नए शौचायलों का निर्माण कराया गया जिन्हें “अगली पीढ़ी के शौचालय” नाम दिया गया था।

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आज 10 साल बाद भी यह अभियान जारी है और इस पहल के तहत वर्तमान में, दिल्ली में BMGF और केजरीवाल सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर शौचालयों को चलाया जा रहा है। इसमें से कई शौचायल अपनी खोखली तकनीक के फेल हो जाने के कारण वापस पुराने ढ़र्रे पर लौट चुके हैं। BMGF समर्थित कंपनी द्वारा संचालित ऐसा एक ही शौचालय परिसर दिल्ली के खिचरीपुर पुनर्वास क्षेत्र में भी बनाया गया था। नई तकनीक के साथ चलने के बावजूद कंपनी ‘एलिफो बायोटेक’ को फाउंडेशन द्वारा शौचालय बंद करने के लिए कह दिया गया।

मानव मल घोटाले में केजरीवाल सरकार और बिल गेट्स फाउंडेशन की साँठ-गाँठ
मानव मल घोटाले में केजरीवाल सरकार और बिल गेट्स फाउंडेशन की साँठ-गाँठ

मल-मूत्र और अपशिष्ट को ट्रीट कर सही तरीके से नष्ट करने का जो सपना BMGF ने एक दशक पहले देश को बेचा और वाह-वाही लूटी थी, वह आज भी अधूरा है। पर्यावरण और आबादी की सुरक्षा को लेकर की गई बड़ी-बड़ी बातें आज जुमले सिद्ध हो रहे हैं। धरातल पर की सच्चाई ये है कि आज BMGF के प्रयासों में कोई प्रगति नहीं हुई है तथा उनके फाउंडेशन द्वारा समर्थित कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे आधा दर्जन सामुदायिक शौचालय दिसंबर 2023 में बंद हो गए हैं। हैरानी की बात यह है कि केजरीवाल सरकार और BMGF की साँठ-गाँठ से चलाई जा रही शौचायलों में भी गड़बड़ी है। देश में चारा घोटाला, गोबर घोटाला के बाद पैखाना घोटाला भ्रष्टाचार का एक नया कीर्तिमान है।

बिल गेट्स फाउंडेशन की मदद से चलाए जा रहे ये शौचालय फिर से पुरानी तकनीक पर चल रहे हैं, जहां सर्वोत्तम स्तर तक उपचारित न किए गए अपशिष्ट और गंदे पानी को जल निकायों और नदियों में छोड़ दिया जाता है। दिल्ली पहले से ही स्वच्छ जलापूर्ति और दूषित यमुना जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। घरों में भी पीने और अन्य उपयोगों के लिए नल से दूषित पानी पहुँचाया जा रहा है। आम तौर पर साफ़ दिखने वाले पानी में भी दुर्गन्ध पाया जा रहा है। पहले से लचर स्थिति में चल रहे अस्पतालों के लिए ये एक नई मुसीबत है जो धीरे-धीरे अपने पाँव पसार रही है। इस दूषित पानी के उपयोग से बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करने वाली कई बीमारियां पनप रहे हैं।

सपने बेचने और रीपैकेजिंग कर चीज़ों को अच्छा दिखाने वाली BMGF की कई अन्य असफलताओं के रिपोर्ट कार्ड में ये एक नई उपलब्धि है।