आखिर क्यों पूरी तरह से डेवलप त्रिशूल मिसाइल को सेना में नही किया गया शामिल

आज तक आपने भारत में निर्मित कई ऐसी मिसाइलों के बारे में सुना होगा जिसके सेना में शामिल होने की खबर से ही दुश्मन की नींद उड़ गई हो।
पर आज के इस लेख में हम भारत में निर्मित एक ऐसी मिसाइल प्रणाली की बात करेंगे जिसे डीआरडीओ द्वारा बनाया भी गया और उसका सफल परीक्षण भी हुआ परंतु आज तक उस मिसाइल को सेना में प्रतिष्ठापित नही किया जा सका। जी हां इस लेख में हम आपको बताएंगे जमीन से हवा में निशाना साधने वाली मिसाइल त्रिशूल के बारे में।

त्रिशूल

डीआरडीओ के समन्वित मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत जमीन से हवा पे निशाना साधने वाली इस मिसाइल ने साल 1985 में श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपनी पहली उड़ान को अंजाम दिया। इसके बाद 1992 में इस मिसाइल ने एक बार पुनः सफलता पूर्वक अपने लक्ष्य को निस्तो नाबूत किया।
आपको बता दें स्वदेशी तकनीक पर आधारित इस मिसाइल को मुख्य रूप से भारतीय नौ सैनिकों के लिए तैयार किया गया था पर आज इसका उपयोग भारतीय सेना के तीनों अंगों द्वारा किया जा सकता है।

 

 

त्रिशूल मिसाइल की विशेषता

स्वदेशी तकनीक पर आधारित इस मिसाइल की मारक क्षमता 9 किलोमीटर है जिसका प्रयोग मुख्य तौर पर नीची उड़ान भर रहे विमानों को मार गिराने के लिए किया जाता है।
इस मिसाइल की लंबाई तीन मीटर और चौड़ाई दो मीटर की है जो इसे कम ऊंचाई पे ही मैक 2 की गति पर पहुंचने में मदद करती है।

 

 

क्यों इसे सेना में नही किया गया शामिल

1998 में त्रिशूल मिसाइल को 24 उड़ान परीक्षणों से होकर गुजरना था जिसमे भारत ड्यानमिक्स लिमिटेड की सहायता से उसने अधिकतर उड़ान परीक्षणों में सफलता हासिल की। जिसके बाद 1999 में भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना द्वारा इस मिसाइल को सेवा में ले लिया गया।
पर अक्टूबर 2001 को डीआरडीओ द्वारा एक बार इस मिसाइल की तकनीकी कमियों के कारण समीक्षा करने पर मालूम चला की ट्रैकिंग रडार बीम में आंतरिक विराम टूटने के कारण मिसाइल अपने लक्ष्य से भटक रहा था जिसके बाद से ही इस मिसाइल को भारतीय सेना की सेवा से हटा दिया गया।
हालांकि 2002 में इस मिसाइल का एक बार फिर से समुद्री परीक्षण किया गया और 2003 आते आते भरता सरकार ने इस मिसाइल को ने विकास परियोजनाओं के साथ जोड़कर इसको और विकसित किया। जिसके बाद 2005 में इस मिसाइल एक बार फिर लॉन्च किया जाता है और इस बार ये मिसाइल अपने टारगेट को लॉक करने में पूर्णता सक्षम पाई जाती है।