कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. इस बार दिवाली का त्यौहार 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. दिवाली का त्यौहार हर तरफ अंधकार को मिटाकर उजाला कर देता है. हर घर रोशनी से जल उठता है. दिवाली पर हर तरफ रोशनी ही रोशनी नजर आती है. आज के समय में लोग दीपो से ज्यादा लाइट को महत्व देते है. लेकिन परंपरागत रूप से दिवाली की रात में तेल और घी के दीपक ही जलाना शुभ माना जाता है.
घर में कहां और कितने दीपक जलाये..
दिवाली वाले दिन लक्ष्मी की पूजन के बाद घरों में घी या तेल के बहुत सारे दिये जला कर प्रकाश करने की परंपरा है. दीवाली पर दिये जलाने का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है. तो चलिए आज आपको बताएंगे दीवाली कहां और कितने दीपक जलाने चाहिए. दीवाली के दिन पहला दीपक मां लक्ष्मी के दिन समक्ष जलाया जाता है. मां लक्ष्मी के सामने पीतल या किसी अन्य धातु का दीपक जलाना चाहिए. उसके बाद 5 मिट्टी के दीपको में गाय का घी डालकर उसे पूजा स्थान पर घर के कूल देवी और देवताओं के लिए रखना चाहिए.
मां लक्ष्मी के सामने दीपक जलाने के बाद दूसरा दीपक मंदिर में जलाकर रखे. उसके बाद तीसरा दीपक तुलसी के पौधे में जलाने से शुरूआत करें. तुलसी में दीपक जलाने के बाद अपने घर के मुख्य दरवाजे के दोनों और दीपक जलाकर रखें. एक दिया दरवाजे पर बनी रंगोली के बीचो-बीच रखें. पांचवा दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे जलाकर रखे. क्रम अनुसार छठा दीपक पास के किसी देवस्थान पर प्रज्वलित करें. एक दीपक घर में जहां आपका कूड़ा रखा जाता है वहां पर रखे, क्योंकि यहां पर भी दीपक रखना आवश्यक होता है.
आंठवे दीपक को घर के बाथरूम में रखे और नौवे दीपक को अपने घर के मुंडेर पर जरूर रखे. इसके बाद एक दीपक को अपने घर की गैलरी या बाहरी दीवार पर रखे, ग्यारहवे दीपक को घर की खिड़की पर जलाए. 12वें दीपक को जलाकर अपने घर की छत पर रख दें. 13वें दीपक को किसी चौराहे पर जलाकर रख आएं. 14वें दीपक को अपने पितरों के लिए रखना चाहिए. अगर आपने गाय आदि पाल रखी है तो 15वें दीपक को गौशाला में जलाकर रखे.