1950 से लेकर 1970 के शुरुआती वर्षों में कई बॉलीवुड एक्ट्रेस हिट हुई है, जिन्होंने आज भी लोगों के दिलों में जगह बनाई हुई है। अपने समय में सबसे सफल हीरोइनों में से कहीं हिट गर्ल के नाम से जानने की गई है और उनकी फिल्में भी सफलता की गारंटी होती थी। आज हम आपको एक ऐसी ही हीरोइन के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि उस समय काफी हिट रही थी।
आशा पारेख का करियर
आज हम आपको आशा पारेख (Asha Parekh) के बारे में बता रही हूं जिन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी और वह गुजराती हिंदू पिता और मुस्लिम मां की संतान थी। इन्हें निर्देशक बिमल राय ने जब उन्हें एक स्टेज पर डांस करने के लिए बुलाया था और उसके बाद उन्होंने अपनी फिल्म में बाप बेटी में उन्हें कष्ट कर लिया।
इससे पहले 1952 में एक फिल्म आसमान कर चुकी थी जब वह 16 बरस की हुई थी तब उन्हें निर्माता विजय भट्ट ने अपनी फिल्म गूंज उठी शहनाई के लिए कष्ट करने के बाद यह कहते हुए निकाल दिया की हीरोइन मटेरियल नहीं है। मगर वह आगे चलकर गलत साबित हुए उसके बाद उन्हें निर्माता सुबोध मुखर्जी और लेखक निर्देशक नासिर हुसैन ने उन्हें अपनी फिल्म दिल दे कर देखो मैं शम्मी कपूर के साथ लांच किया जिसके बाद यह फिल्म उनके काफी हिट गई थी।
आशा बड़ी स्टार बन गई और उन्होंने 1959 से 1973 तक हिंदी सिनेमा के दौर पर राज किया दादा साहेब पुरस्कार किसी महिला कलाकार को नहीं मिला था, लेकिन आखिरी बार साल 2000 में यह आशा भोंसले को दिया गया था। आशा पारेख की फिल्मों का सिल्वर, गोल्डन और प्लेटेनियम जुबली मनाना आम बात थी। देव आनंद के साथ जब प्यार किसी से होता है (1961), शम्मी कपूर के साथ तीसरी मंजिल (1966), राजेश खन्ना के साथ कटी पतंग (1970) और धर्मेंद्र के साथ मेरा गांव मेरा देश (1971) उनकी बेहद कामयाब फिल्में हैं
उन्होंने अपने करियर में कई बड़े-बड़े पुरस्कार द्वारा भी सम्मानित किया गया है। आशा पारेख ने अपने करियर में लगभग 95 फिल्मों में काम किया है और कभी किसी को उनसे शिकायत नहीं रही है, उन्होंने कुछ साल पहले अपनी आत्मकथा लिखी थी जिसका नाम है।