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उत्तर प्रदेश(UP News) के मथुरा(Mathura) के वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. दरअसल योगी सरकार श्रद्धुलाओं को हो रही समस्यायों के निपटारे के लिए बांके बिहारी मंदिर के आस-पास 5 एकड़ में कॉरिडोर बनाना चाहती है। लेकिन इसका विरोध करते हुए स्थानीय मंदिर के पुजारी और समाज सेवियों ने इसके खिलाफ याचिका दाखिल की है.
जानें क्यों हो रहा इस कॉरिडोर का विरोध
स्थानीय मंदिर के पुजारी और समाज सेवियों उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बांके बिहारी मंदिर के आस-पास 5 एकड़ में कॉरिडोर बनाने वाले फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि ‘सरकार कुंज गलियों को मिटाकर कॉरिडोर बनाना चाहती है। जबकि वृंदावन की पहचान कुंज गलियों से है। यहां भगवान बच्चे के स्वरूप में हैं। इन्हीं गलियों में खेलते हुए उन्होंने बाल लीलाएं दिखाई हैं.’ ऐसे में आज इस विवाद को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है.
कॉरिडोर के डिजाइन में मंदिर के मूल स्वरूप बरकरार- यूपी सरकार
वहीं इन आरोपों का जवाब देते हुए सरकार ने बताया कि ‘सीएम योगी के डायरेक्शन पर बांके बिहारी कॉरिडोर के डिजाइन में मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखा गया है। बाहरी परिसर को विस्तारित किया जाना है। नए डिजाइन में बांके बिहारी मंदिर के बाहर दो लेयर होगा, जो खुला भी होगा और कवर्ड भी। मंदिर के बाहर इस खुले परिसर के बीच में बड़ा फव्वारा होगा, जिसके चारों ओर चार बगीचे होंगे। साथ ही कवर्ड क्षेत्र भी उसी शैली के लाल पत्थरों से बनेंगे, जिस पत्थर से वृंदावन के अधिकांश मंदिर बने हैं। उसी तरह की दीवारें और उसी तरह के गुंबद, फिर पता ही नहीं चलेगा कि नया विकसित क्षेत्र बांके बिहारी मंदिर से अलग है।’