हम जानते है, की राजस्थान BJP में वैसे तो कई बड़े चेहरे शामिल है, लेकिन इन सभी शहरों में गुलाब चंद कटारिया काफी अहम कद रखते हैं। आपको बता दें कि, गुलाबचंद कटारिया नौ बार के विधायक भी रह चुके हैं और राजस्थान(Rajsthan) की बीजेपी की सियासत में नंबर दो की पोजीशन भी रखते हैं।
असंतुष्ट गुट के विधायक को दिया जा सकता है, मोका
वहीं विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले अब उन्हें राज्यपाल ने बना दिया गया है, जिससे राजनीतिक समीकरण भी सारे बदल चुके हैं और अब नए राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद भी शुरू हो चुकी है, लेकिन उन्हें सकरी राजनीति से दूर हुए बदलाव के संकेत दिए हैं।
इस समय गुलाबचंद कटारिया ने असम का राज्यपाल परिणाम स्वीकार कर लिया है, लेकिन दूसरी तरफ यह भी देखा जा रहा है कि, उन्हें राजभवन भेजने के फैसले को पार्टी का आदेश मानते हुए स्वीकार किया है। वहीं राजस्थान(Rajsthan) के सभी राजनीति से उन्हें दूर भी कर दिया गया है।
लेकिन BJP सरकार द्वारा इस समय यह फैसला लिया गया है, वह काफी हैरान करने वाला है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में राजस्थान(Rajsthan) में छह महीनों में होने वाले हैं। वही इसको लेकर सियासी तपिश भी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि, विधानसभा चुनाव में बीजेपी के चेहरे के रूप में कटारिया चुनावी मैदान में होंगे, लेकिन इससे पहले ही बीजेपी ने राज्यपाल बनाकर भेज दिया है। ऐसे में अब बीजेपी अपने लिए नया चेहरा लाने की तैयारियां कर रही है।
लेकिन बीजेपी की तरफ से गुलाबचंद कटारिया पार्टी के संभावित सीएम चेहरा थे। कटारिया की विदाई से बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। इससे बीजेपी को कद्दावर नेताओं की सूची में से एक नाम हटने से पार्टी को प्रदेश की गुटबाजी को कण्ट्रोल करने में मदद मिलेगी वही दुरे नजरिये से देखा जाए तो, दूसरी तरफ खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की सीट पर जो नेता अब तक असंतुष्ट था, उसके असंतुष्ट गुट के विधायक का नाम इसमें आगे कर राजनितिक समीकरण साधा जा सकता है।