Rajasthan Election 2023: राजस्थान चुनाव के लिए BJP ने बदली रणनीति, अब विपक्षी पार्टियों पर ऐसे करेगी पलटवार!

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Rajasthan Election 2023:

कर्नाटक चुनाव में हार के बाद बीजेपी ने आत्म मंथन करना शुरू कर दिया है, राजस्थान में इस साल के अंत (Rajasthan Election 2023) में विधानसभा चुनाव होनें हैं, इसके लिए बीजेपी ने कमर कस ली है और अपनीरणनीति में बड़े बदलाव करने के लिए विचार विमर्श शुरू कर दिया है। पार्टी के सूत्रों का मानना है कि राज्यों के चुनावों में बीजेपी का सबसे लोकप्रिय चेहरा प्रदेश के नेताओं के साथ पीएम मोदी ही होंगे।

शेट्टार को टिकट ना देना बीजेपी को पड़ा भारी 

बताया जा रहा है कि कर्नाटक इलेक्शन में वोटों की संख्या बढ़ाने वाले येदयुरप्पा को चुनावी मैदान से दूर करन् और शेट्टार को टिकट ना देने से बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। जिसके कारण लिंगायत वोट बीजेपी के पाले से खिसकर सीधे कांग्रेस की झोली में जा गिरा। ऐसे में अब बीजेपी में मंथन का दौर तेजी से शुरू हो गया है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी राजस्थान चुनाव की ओर ध्यान देने लगा है. साथ ही बाकि के राज्यों में इस साल के अंत में होने वाले चुनाव के लिए भी रणनीति बदलने का फैसला किया है।

BJP ऐसे बनाएगी रणनीति!

राजस्थान में नेतृत्व के मुद्दे और उम्मीदवार को तय करते हुए जातिगत समीकरण बनाने का फैसला किया है, साथ ही अगर जरूरत पड़ती है तो बीजेपी राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों से भी गठबंधन बना सकती है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बीजेपी कर्नाटक में जेडीएस से गठबंधन कर लेती तो उसे हजारों वोटों का फायदा मिलता हुआ साफ दिखता। हालांकि बीजेपी को अब केंद्रीय नेता और मुख्यमंत्रियों से ज्यादा स्थानीय नेताओं से संवाद करके अपनी रणनीति को तैयार करना होगा। क्योंकि स्थानीय नेताओं के द्वारा प्रचार करना कांग्रेस को काफी फायदा मिला था।

गुटबाजी पर लगानी होगी लगाम

कांग्रेस की तरह भाजपा के लिए भी गुटबाजी काफी परेशान करने लगी है, राजस्थान में बीजेपी के लिए गुटबाजी सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरकर सामने आ रही है। साथ ही यहां पर बीजेपी के नेताओं के बीच ज्यादा तालमेल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अब बीजेपी को इस चुनौती का सामना करते हुए चुनावी मैदान में उतरना होगा। आसान शब्दों में कहे तो बीजेपी को राज्य में सबसे पहले गुटबाजी को खत्म करना होगा।

वसुंधरा राजे मिलेगी वरीयता

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजनैतिक मैदान में कमजोर साबित होने के बाद भी उन्हें वरीयता देने की संभावना अधिक जताई जा रही है। साथ ही प्रदेश में किरोड़ी मल मीणा, सतीश पूनिया, गजेंद्र सिंह शेखावत और अन्य जातीय समूहों के नेताओं को भी महत्व दिया जाएगा।