PM Modi Rally In Ajmer
PM Modi Rally In Ajmer: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। कांग्रेस में पहले से ही गहलोत और Sachin Pilot के बीच रस्साकसी चल रही है। ऐसे में क्या बीजेपी इन दोनों की रार को अपनी जीत में तब्दील कर पाएगी? राजस्थान में पायलट लोगों के बीच अपना दबदबा रखते हैं। उनका प्रदेश में सीधे तौर पर करीब 58 विधानसभा सीटों पर असर है।
पीएम मोदी राजस्थान के चुनावी मैदान में आए
पीएम मोदी आज यानी 31 मई को राजस्थान की यात्रा पर हैं, पीएम मोदी इससे पहले तीन दौर और कर चुके हैं। बीजेपी के बाकी के नेता भी राजस्थान में ढेरा डालने लगे हैं। वहीं, दूसरी ओर सचिन और गहलोत के बीच आपसी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। बीजेपी भी इस कलह को अपना फायदे पहुंचाने में लगी हुई है।
पायलट के इलाकों पर बीजेपी की नजर
राजस्थान कांग्रेस का संगठन वर्तमान समय में थोड़ा बिखरा हुआ है, लेकिन संगठन के बीच सीएम अशोक गहलोत की पकड़ अभी भी मजबूत से बनी हुई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि पायलट के दबदबे वाले इलाकों में कांग्रेस का प्रचार थोड़ा कमजोर हो सकता है। ऐसे में बीजेपी इन सीटों पर अपना दम दिखाने की पूरी कोशिश करेगी। शायद यहीं खास वजह है कि बीजेपी अभी से ही पूर्वी राजस्थान में अपना जोर दिखा सकती है। जहां पर पायलट की खास पकड़ मानी जाती है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने राजस्थान में डाला ढेरा
पीएम मोदी भी पिछले साल सितंबर से राजस्थान का दौरा कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी राजस्थान पर बराबर से नजर बनाए हुए हैं। वह लगातार बूथ लेवल पर भाजपा को मजबूत करने के लिए लगातार बैठक कर रहे हैं। पीएम मोदी ने जब राजस्थान का दौरा किया तो उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि राजस्थान में कुर्सी की लूट मची हुई है। जहां सीएम अपने विधायकों और विधायकों को अपने सीएम पर ही भरोसा नहीं है।
इन जिलों में है सचिन पायलट का प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान के 8 जिलों में सचिन पायलट का दबदबा है। इन जिलों में मुख्य रूप से अजमेर, करौली, दौसा, टोंक, सवाई माधोपुर, टोंक, अलवर और धौलपुर हैं। इन जिलों में 58 सीटों आती हैं। सचिन पायलट फिलहाल टोंक जिले से विधायक हैं। वहीं, जब सचिन पायलट ने 2020 में बगावत कर दी थी तब उनका साथ देने वाले 18 विधायक पूर्वी राजस्थान से ही चुनकर आए थे।