भींड के रौन के रहने वाले सेना के पुर्व जवान अपने देश की सेवा के बाद गांव में समाज की सेवा का सोच कर सेना से Retirement होकर आए थे। पर होनी को कुछ और ही मंजूर था। फौजी विवेकानंद त्यागी सुबह के वाक के लिए घर से निकले ही थे कि अज्ञात वाहन ने उन्हे ठोकर मार दी। जिसके कारण गंभीर स्थिति में उन्हे ग्वालियर इलाज के लिए भेजा गया।
Retirement के बाद लिया गया अंग दान का फैसला
ग्वालियर में स्थिति को सुधार ना होता देख साथी और परिवार वाले दिल्ली के आरआर सैन्य हॉस्पीटल लेकर गए, जहां गंभीर स्थिति में उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद उनके शरीर के प्रमुख छह अंगों को दान किया गया, जिससे छह लोगों को नवजीवन मिलेगा।
अंतिम यात्रा में थे राजनेता भी शामिल
16साल के सैन्य नौकरी में उन्होने देश की बहुत सेवा की, पर वो कहां जाता है ना “once a soldier always a soldier.” इसको चरितार्थ करते हुए हए विवेकानंद ने छह और लोगों का जीवन सवार दिया। अंगदान का निर्णय उनकी पत्नी मंजूलता के मंजूरी से हूआ।
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विवेकानंद के अंतिम संस्कार में कांग्रेस के नेता राकेश शुक्ला और बीजेपी नेता भरत सिंह भदौरिया भी शामिल थे।
फौजी विवेकानंद त्यागी के भाई ब्रह्मानंद त्यागी ने बताया कि उसके भाई में समाज सेवा की भावना भरी हुई थी।इसी वजह से वो सेवानिवृत्त के बाद गांव लौटे थे।वो समाज के हर वर्ग को अपना समझते थे।हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहते थे।मरने के बाद भी उन्होने समाजसेवा का अपना प्रण निभाया।