MP Congress: मध्यप्रदेश में जैसे जैसे चुनावी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं, वैसे ही कांग्रेस में अंदरूनी घमासान का शोर बढ़ता जा रहा है। सवाल कमलनाथ के मुख्यमंत्री चेहरा बनाने को लेकर उड़ रहे हैं। कुछ कार्यकर्ता छुपकर तो कुछ सरेआम कमलनाथ को मुख्यमंत्री चेहरे के लिए सही नहीं मान रहे। उनके अनुसार कमलनाथ की अपरिपक्व राजनीति का नतीजा था जिसकी वजह से ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुटबाजी का सामना करना पड़ा और पार्टी से बगावत कर कांग्रेस छोड़नी पड़ी।
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MP Congress: मुख्यमंत्री चेहरा पहले घोषित करने की परंपरा नही –कांग्रेस प्रदेश प्रभारी
कमलनाथ जहां सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर खुद को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने में जोर शोर से लगे हैं, उनके पीठ पीछे कांग्रेस सदस्य और कार्यकर्ता उनकी जमीन कमजोर करने में लग गए हैं। पुर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव , प्रदेश पार्टी प्रभारी जेपी अग्रवाल ने भी एक ही बात दोहराते हुए बयान दिया था कि मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं है और उनका फैसला चुनाव के बाद सर्वसम्मति से केंद्रीय आलाकमान के द्वारा तय होगा। जो विधायक दल का नेता चुना जाएगा, वो ही मुख्यमंत्री होगा। पूर्व नेता प्रति पक्ष अजय सिंह ने भी बयान दिया था कि कांग्रेस में कभी भी मुख्यमंत्री चेहरे को पहले से प्रोजेक्ट नहीं किया जाता। जो पार्टी तय करती है वो ही होता है।
मुझे पद का लालच नहीं,मैं जीवन में बहुत कुछ अर्जित कर चुका –कमलनाथ
पार्टी के नेताओं के खुद पे विपरित बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कमलनाथ ने कहा कि वो किसी भी पद के तलाश में नहीं हैं। जीवन में बहुत कुछ हासिल करने के साथ अब उन्हें किसी और चीज की लालसा नहीं है।
पर इसके साथ ही उनके कट आउट्स वाले होर्डिंग और मुख्यमंत्री के रुप में उनका नाम जगह जगह पे दिख रहे हैं।
इन्हीं होर्डिंग के लगने के बाद कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और सरगर्मियां तेज हो गई थी और अलग अलग बयान आने लगे थे।
कैसे निपटेंगे कमलनाथ
राजस्थान से शुरू हुआ कांग्रेस के अंदरूनी घमासान की हवा अब, मध्यप्रदेश आ चुकी है, अब देखना ये है कि कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति क्या करवट लेगी और कमलनाथ इन बगावती तेवरों से कैसे निपटेंगे।