Congress की राह Madhya Pradesh में हुई मुश्किल

Congress की मुश्किलें बढ़ी

मध्यप्रदेश के चुनावी समर में Congress और कमलनाथ की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। मध्यप्रदेश के चुनाव में आम आदमी पार्टी भी कूद पड़ी है। पिछले इलेक्शन में चुनाव जितने के बाद भी कांग्रेस की गुटबंदी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरंदाज करना कांग्रेस को भारी पड़ गया था। 15महीने बाद ही कमलनाथ की सरकार को हटना पड़ा था।

आम आदमी पार्टी भी लड़ेगी मध्य प्रदेश में चुनाव 

तब से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं और कमलनाथ से उनके कार्यकाल के प्रश्न पूछ रहे हैं। जहां शिवराज सिंह फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं, वही कांग्रेस को बैंक फुट पर धकेलने के लिए आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश विधानसभा के सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है।

पंजाब और गुजरात में कर दिया था Congress था बेड़ा गर्क

पिछले गुजरात और पंजाब इलेक्शन की कहानी सबने देखा ही था। जहां पंजाब में Congress की सरकार थी और गुजरात में अस्तित्व की लड़ाई। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में Congress को पटखनी देते हुए सरकार बना ली, वही गुजरात में Congress के नाक के नीचे से उम्मीद जीतने वाली सीटें निकाल ली। हालांकि गुजरात के नतीजे आप के लिए सम्मान जनक तो नही थे पर मोदी और भाजपा की आंधी में डूबे को तिनके का सहारा जरूर थे।

Congress के माथे पर पड़े बल

मध्यप्रदेश चुनाव की बात करें तो वहां के सामाजिक और जातिगत समीकरण ऐसे हैं कि आम आदमी पार्टी ने ईमानदारी से उम्मीद वार खड़े किए तो कांग्रेस के बहुत बड़े वोट बैंक में सेंध लग सकती है,जिसका साफ नतीजा हम पंजाब और गुजरात में हाल में ही देख चुके हैं।

आप के लुभावन वादें

दिल्ली के मुकाबले एमपी छह गुणा बड़ा है।जाहिर तौर पर यहां भी आप पंजाब और दिल्ली जैसे मुफ्त स्कीमों का वायदा जरुर करेगी।पर मध्यप्रदेश दिल्ली नहीं है,यहां जनता लोकलुभावन वादों पर जाने वाली नहीं है,अगर जाती तो पिछला चुनाव यूं कांटे का ना होता,और कांग्रेस के नाक के नीचे से सत्ता ना निकलती।जीत कर हारने का स्वाद कांग्रेस वैसे भी चख चुकी है।पंजाब और गुजरात भी वो दोहराना नहीं चाहेगी।जिस तरह खुद को जनता से जोड़ने की उसे आवश्यकता आन पड़ी है और मेगा बजट की भारत छोड़ो यात्रा शुरू हुई है,वो उसके सत्ता प्राप्त करने की छटपटाहट को दिखाता है।इस बार उसका सामना जमीन से जुड़े और लोकप्रिय शिवराज के साथ, उसे पटखनी देने वाली आप से भी है।तो मध्यप्रदेश की राह उसके लिए कहीं से भी आसान नहीं है।

क्या शिवराज सरकार के जनकल्याणकारी नीतियों के सामने टिकेगी आप

अभी एमपी में आम आदमी पार्टी का एक विधायक और एक नगर महापौर है।गुजरात इलेक्शन में उसके आने के बाद कांग्रेस के वोटों का प्रतिशत गिरकर 27 प्रतिशत रह गया था जो कि 2017के चुनाव के मुकाबले बहुत कम था। कांग्रेस को 77 से सीधे 16 सीटों पर आना पड़ा था,वजह थी आम आदमी पार्टी द्वारा उसके वोटों में सेंध मारी । शिवराज सिंह के लोकप्रियता के सामने आम आदमी पार्टी कहीं नहीं टिकती,जाहिर तौर पर कांग्रेस के वोट उसने सिफ्ट किए तो नुकसान बस कांग्रेस का ही होने वाला है।आने वाले चुनाव में कांग्रेस के सामने कठिन परिस्थितियां नजर आ रही है,उसका सामना वो कैसे करती है,ये देखना दिलचस्प होगा।