MADHYA PRAEDESH: मध्यप्रदेश में कांग्रेस पिछली बार की किसी भी गलती को दोहराने के मूड में नही है। इसलिए जमीनी स्तर से लेकर संगठन स्तर तक अपने कार्यकर्त्ताओं के उत्साह संचार में लगी है।पर इतनी मेहनत के बावजूद नतीजा अच्छा नही दिख रहा। मामला हरदा का है जहां दिग्विजय सिंह के सामने ही कार्यकर्त्ताओं में जूतम पैजार की नौबत आ गई ।
धरी रह गई दिग्विजय सिंह की अनुशासन वाली नसीहत
MADHYA PRAEDESH के चुनाव में अब बस कुछ महीने ही रह गए हैं। सब पार्टियां अपने कार्यकर्त्ताओं को चुनाव प्रचार में लगाने के लिए तैयार कर रही है । जिसका कार्यकर्त्ताओं का कैडर सबसे ज्यादा अनुशासित होगा,उस पार्टी को ज्यादा फायदा मिलना तय है। यही बात हरदा के सोडलपुर गांव में मध्यप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह कार्यकर्त्ताओं से मिल कर समझा रहे थे।लेकिन इससे वहां उपस्थित कार्यकर्त्ताओं को कोई फर्क नही पड़ा और सब आपस में ही भीड़ गए।
मंच से शांति की अपील करते रहे दिग्विजय,हंगामा चलता रहा
हरदा के पंचायत उपाध्यक्ष अनिल वर्मा और कांग्रेस कार्यकर्त्ता प्रताप सिंह राजपूत के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि वही दोनो भीड़ गए और एक दूसरे पर अपशब्दों की बौछार कर दी।दोनो गुटों से अन्य लोग भी इस मामले में जुट गए।जिससे हंगामे कि स्थिति बन गई
। दिग्विजय वही मंच से शांत रहने की अपील करते रहे। पर शांति देर बाद कायम हुई। जिससे कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी फिर से सबके सामने आ गई।
एक तरफ जहां मुश्किल होती चुनावी डगर को आसान करने के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को रिलांच किया है।वही इनके कार्यकर्त्ताओं ने ही कांग्रेस की गुटबंदी की पोल खोल कर रख दी है।अब इस हालत में शिवराज सिंह को हराने का जो दावा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कर रहे हैं,वो कितना पुख्ता है चुनाव नतीजे इसकी कहानी कहेंगे।