MADHYA PRADEH: Rajsthan ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के लिए जिस तरह मनमाने ढंग से मप्र से निकलने वाली नदियों का पानी डायवर्ट कर रहा है, आने वाले समय में मध्यप्रदेश में सूखे के हालात पैदा हो जाने वाले हैं। नेशनल पार्क जिसका अस्तित्व ही क्यों नदी की वजह से है, वो भी सूख जाएगी।
क्यूल,, पार्वती, कालीसिंध नदियों पर सूखे का खतरा
मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलाई ने चिंता जताते हुए कहा है कि मुरैना, चंबल, ग्वालियर में सरकार महत्वाकांक्षी जल सिंचाई परियोजना चला रही है। राजस्थान ईसीआरपी के तहत अगर यूं ही जगह जगह बैराज बनाता रहा तो हमारे किसानों के लिए सूखे के हालात पैदा हो जाएंगे। इसलिए मध्यप्रदेश सरकार इस योजना में Rajsthan की मनमानी के सख्त खिलाफ है। राजस्थान को कोई हक नही कि वो मध्यप्रदेश के किसानों के हक को छीनने का प्रयास करे।
राजस्थान को अंतराज्यकीय जल बंटवारे के नियम का करना चाहिए पालन
दरअसल राजस्थान मध्यप्रदेश से होकर राजस्थान जाती हुई कून नदी, क्यूल नदी, पार्वती नदी और कालीसिंध नदी पर अपने यहां बैराज बना रहा है, जहां राजस्थान कउनो बैराज की क्षमता 526 एम सीएम रखना चाहता है, वही मध्यप्रदेश का कहना है कि 75% डिपेंडिबिलिटी की इस बैराज की क्षमता होनी चाहिए। रामगढ़बैराज जो क्यूल नदी पर बन रही है,उस पर भी मध्यप्रदेश और राजस्थान में टकराव की स्थिति स्टोरेज क्षमता और डिपेंडिबिलिटी को लेकर ही है। नवनेजा बराज जो कालीसिंध नदी पर बन रही है। कालीसिंध लगभग 150 किमी ही राजस्थान में बहती है। जिसपे नियमानुसार 75% डिपेंडिबिलिटी का पानी के डायवर्सन की क्षमता होनी चाहिए पर राजस्थान सरकार इसे 3420 एमसीएम का बनवा रही है। इन सभी नदियों पर क्षमता से अधिक का डायवर्सन बनवाने के कारण चंबल ,मुरैना से लेकर कूनो नेशनल पार्क में भी पानी उपलब्ध नही रहेगा।