Jyotiraditya Sindhiya को परे हटाने की योजना पिछली बार कमलनाथ को कितनी भारी पड़ी थी, वो अभी भूले नही होगें। बनी बनाई सरकार पंद्रह महीने में ही ताश के पते जैसी भरभरा के गिर गई थी। कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष कमलनाथ वो गलती दोहराने वाले नही हैं, इसी लिए Jyotiraditya Sindhiya के गढ़ ग्वालियर और चंबल में उन्हे घेरने का पूरा इन्तेज़ाम कर लिया है।
चंबल की राजनीति यानि ग्वालियर राजघराने का दबदबा :Jyotiraditya Sindhiya
मध्यप्रदेश के चुनाव में चंबल और महाराज सिंधिया कितने महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां जीतता वही है ,जिसके पिछे ग्वालियर राजघराना होता है। Jyotiraditya Sindhiya की दादी विजयाराजे हों या पिता माधवराज सिंधिया, उनकी इच्छा के बिना यहां कोई नही जीतता।
ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेयी खा गए थे मात
चंबल और ग्वालियर की राजनीति कैसी जटिल है, इसका अंजादा इसी से लगाया जा सकता है कि जनलोकप्रिय अटल जी को भी यहां 1984 में माधवराज सिंधिया से मात खानी पड़ी थी।
क्या कमलनाथ कर पाएंगे ग्वालियर-चंबल में उलट फेर
शिवपुरी से अपनी चुनावी रणनीति की पहले चरण की शुरुआत कमलनाथ ने कर दी है। वो हर उस क्षेत्र में अपनी पुरी ताकत झोंकने जा रहे जहां Jyotiraditya Sindhiya अपना प्रभाव रखते हैं। फिलहाल ग्वालियर से भाजपा के विवेक नारायण सेजवलकर सांसद है जो सिंधिया के ही करीबी हैं लेकिन तब महाराज कांग्रेस में थे।
कमलनाथ के हुंकार के जवाब में महाराज सिंधिया का प्रहार क्या होगा ,ये देखना अत्यंत रोचक होगा, क्योंकि चंबल में कमलनाथ ने अपनी पुरी राजनीति ताकत और अनुभव को झोंक दी है।