आपने गुजरात के अरब सागर स्थित सोमनाथ मंदिर के बारे में जरूर सुना होगा पर क्या आप उसके सारे राहस्यों को जानते हैं? आइये जानते हैं इस मंदिर के निर्माण और रहस्यों के बारे में।
सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंग है सोमनाथ मंदिर
हिन्दू धर्म के आस्था के अनुरूप कुल 64 ज्योतिर्लिंग है जिनमे से 12 ज्योतिर्लिंगों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्ही 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला स्थान है सोमनाथ मंदिर में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का। सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है पर इसका नाम “सोम” भगवान चंद्रमा के दूसरे नाम से पड़ा है। इसीलिए इस मंदिर को सोमेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
आइये जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे की दंत कथा
ब्रह्मा के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थी, इन सभी कन्याओं का विवाह सोम अर्थात चंद्रमा से हुआ। चंद्रमा अपनी सभी 27 पत्नियों में से रोहिणी को सबसे ज्यादा प्रेम करते थे, जिसके कारण बाकी की सारी रूष्ट रहा करती थी। अन्य सभी पत्नियों ने अपना दुख अपने पिता को बताया जिसे सुन कर दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को समझाया पर चंद्रमा रोहिणी के वशीभूत हो चुके थे। जब चंद्रमा के स्वभाव में बदलाव नही आया तो दक्षप्रजापति ने उन्हें क्षयग्रस्त होने का शाप दे दिया।
इसके बाद चंद्रमा की चमक कम होने लगी और इस कारण चंद्रमा काफी परेशान हो गयें। चंद्रमा ने सभी देवताओं, मुनियों के कहे अनुसार घोर तपस्या की और 10 करोड़ बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया। जिससे प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया और शाप से बचा लिया। चंद्रमा ने इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और भगवान शिव से वहीं निवास करने का आह्वन किया जिसे शिव ने स्वीकार कर लिया।
सोमनाथ मंदिर का महत्त्व
इस स्थान का हिन्दू मान्यताओं में अत्याधिक महत्व है। यहां चैत्र, भाद्र और कार्तिक मास में अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए पितृगणों की पूजा और नारायण बलि के लिए लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। सोमनाथ मंदिर पावन प्रभास पाटन क्षेत्र में स्थित है, ये क्षेत्र भालका तीर्थ के ही निकट है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने मानव देह त्यागा था।
सोमनाथ मंदिर के रहस्य
ये अति प्राचीन मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को छिपाए है, पुरातत्व वैज्ञानिकों ने शोध कर के बताया है कि सोमनाथ मंदिर के नीचे भी L आकर का तीन मंजिला इमारत मौजूद है साथ ही कई गुफाएं भी है। मंदिर के दक्षिण में तीर स्तम्भ स्थित है जिसपे एक तीर दक्षिण दिशा की और इशारा कर रहा है। स्तम्भ पर संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है की “यहाँ से ले कर दक्षिणी धुर्व तक कोई भी जमीनीं क्षेत्र नही है”। ये स्तम्भ यहाँ सदियों से मौजूद हैं और आपको जानकर हैरानी होगी कि तब तब दुनिया को दक्षिणी धुर्व और पृथ्वी के आकार का पता भी नही था।
विदेशी आक्रान्ताओं ने 17 बार तोड़ा
सोमनाथ मंदिर को गजनवी से पहले और औरंगजेब तक ने कई बार क्षतिग्रस्त किया पर समय समय पर राजाओं महाराजाओं ने इसका पुनःनिर्माण कराया। मौजूदा मंदिर का निर्माण भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया है और मंदिर में ज्योतिर्लिंग का प्रतिष्ठान भारत के प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद द्वारा किया गया था।
इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू धर्म के अनुयायियों को ही प्रवेश की अनुमति है, अन्य धर्म के अनुयायी सिर्फ विशेष परिस्थिति में मंदिर प्रबंधन से आज्ञा ले कर ही प्रवेश कर सकते हैं।