सम्राट अशोक: विश्व इतिहास का सबसे महान राजा

सम्राट अशोक 

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि विश्व इतिहास का सबसे महान राजा कौन था …?
अगर आपको लग रहा है कि मैं किसी अलेक्जेंडर या अन्य विदेशी राजाओं की बात करने वाला हूँ तो आप ग़लत हैं।
विश्व इतिहास का सबसे महान राजा कोई विदेशी नहीं बल्कि सम्राट अशोक एक भारतीय राजा था।
एक ऐसा राजा जिसका साम्राज्य अफगानिस्तान से बर्मा तक फैला हुआ था।
आज का सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान एवं म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर शासन करने वाले इस राजा का नाम था।

सपने में हुई सम्राट अशोक की भविष्यवाणी 

इतिहास में राजा बिन्दुसार की 16 पटरानियों का ज़िक्र है। उसी पटरानियों में एक पटरानी का नाम था धर्मा।
जिससे 304 ईसा पूर्व पुत्र रत्न के रूप में राजा बिन्दुसार को सम्राट अशोक की प्राप्ति हुई।
धर्मा क्षत्रिय कुल से नहीं थी। इसी वजह से उन्हें राज्य में कोई विशेष स्थान नहीं दिया गया था।
एक दिन धर्मा ने कहा कि उसने एक सपना देखा कि उसका बेटा एक बहुत बड़ा राजा बनेगा।
इसके बाद राजा बिन्दुसार ने धर्मा को रानी बना लिया।
अशोक का बचपन कई सौतेले भाई बहनों के बीच कड़ी प्रतिसपर्धा में बीता।

 

 

 

अशोक सम्राट
सम्राट अशोक (साभार – गूगल चित्र)

 

 

सम्राट अशोक को मत्स्य्कुमारी से प्रेम 

वे बचपन से ही युद्ध भूमि के गुणों से भलीभांति परिचित थे।
जब सम्राट अशोक बड़े हुए तो उनके बड़े भाई सुशीम जोकि उस वक़्त तक्षशिला के प्रान्तपाल थे।
उसने राजा बिन्दुसार से कहकर अशोक को विदेश यात्रा पर भिजवा दिया।
दिन प्रतिदिन अशोक की प्रसिद्धि बढती जा रही थी।
सुशीम के लिए यह काफी चिंता का विषय था।
विदेश यात्रा के दौरान आशोक को कलिंग में मत्स्यकुमारी कौर्वकी से प्रेम हो गया।
उन्होंने मत्स्य्कुमारी को अपनी रानी बना लिया।

 

सौतेले भाइयों ने की माँ की हत्या

कलिंग में अशोक, बौद्ध सन्यासियों के आश्राम में रहते थे।
एक दिन उन्हें आश्रम में खबर मिली कि उनके सौतेले भाइयों ने उनका माँ की हत्या कर दी।
इस खबर को सुनते ही अशोक गुस्से में आपे से बाहर हो गये।
यह ऐसा वक़्त था जब बिन्दुसार वृद्धावस्था में थे।
उनका स्वस्थ्य भी ठीक नहीं हुआ करता था। सुशीम सिंह से जनता त्रस्त हो चुकी थी।
अशोक ने माँ की मृत्यु के बाद सभी सौतेले भाइयों की हत्या कर दी और सिंहासन पर बैठ गए।

 

कलिंग संहार ने किया सम्राट का हृदय परिवर्तन

सिंहासन पर बैठते ही अशोक ने अपने राज्य का विस्तार करना शुरू कर दिया। 8 वर्ष के भीतर सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य को असम से इरान तक विस्तृत कर लिया था। 8वें वर्ष उन्होंने कलिंग पर चढ़ाई कर दी और कलिंग के इस युद्ध में 1 लाख से अधिक लोगों की हत्या की गयी थी। जिनमे बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल थे। कलिंग में हुए नरसंहार के बाद युद्ध भूमि में बच्चों एवं महिलाओं की क्षत विक्षत लाशों को देखकर सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया। सम्राट अशोक ने अपने व्यथित मन को शांत करने का उपाय उपगुप्त से पूछा, उपगुप्त ने बौद्ध धर्म अपनाने की सलाह दी। अशोक सम्राट का मन दया एवं करुणा से भरा हुआ था। उपगुप्त ने उन्हें बौद्ध धर्म से दीक्षित किया।

 

बौद्ध धर्म के प्रसार में बिताया जीवन 

बौद्ध धर्म की शिक्षा का अशोक पर गहरा असर हुआ। उसने अपना सारा जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में लगा दिया। अशोक ने अपने पुत्र मह्नेद्र और पुत्री संगमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्री लंका भेज दिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई इमारतों, स्तूपों, मठों और स्तंभों का निर्माण किया। प्रसिद्ध साँची स्तूप सम्राट अशोक द्वारा ही बनवाया गया था। कलिंग के युद्ध के बाद उनका जीवन जनकल्याण में ही बीता 72 वर्ष की उम्र में सम्राट अशोक की मृत्यु हो गयी।