आज बॉलीवुड अपने फिल्म और वेब सीरीज के माध्यम से साधू-संतों की छवि को नकारत्मक रूप से प्रचारित कर रही है। वहीं साउथ सिनेमा ला रही है एक ऐसी फिल्म जो दिखाएगी संतों का शौर्य।
Boycott मुहीम झेल रहा है Bollywood
बॉलीवुड पर अक्सर हिन्दू साधु – संतों की छवि खराब करने के आरोप लगते रहे हैं। आज के दौर में अपनी हिन्दू विरोधी छवि के कारण बॉलीवुड जनता के बॉयकॉट मुहिम का शिकार बन चुकी है। जिसके कारण एक के बाद एक कई बड़ी फिल्में बॉक्स आफिस पर औंधे मुँह गिर रही है। वहीं दूसरी ओर साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री अपने शानदार कंटेंट और समय-समय पर उनके द्वारा बनाई जा रही हिन्दूवादी फिल्मों के कारण जनता के बीच तेजी से प्रसिद्ध होती जा रही है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री जहाँ ब्रह्मास्त्र के साथ अपनी वापसी करने की सोच रही थी वहीं साउथ इंडस्ट्री द्वारा फिर से उन पर जोरदार प्रहार किया गया है।
“1770” दिखाएगी संतों की शौर्य गाथा
साउथ के मशहूर डायरेक्टर अश्विन गंगराजु ने अपनी आने वाली फ़िल्म का एक मोशन पोस्टर लांच किया है जो दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है। इस फ़िल्म का नाम है 1770, जो 1770 के ही सन्यासी विद्रोह पर आधारित होगा। अश्विन गंगराजु ने मशहूर फिल्म डायरेक्टर S.S. राजामौली के साथ बाहुबली,RRR जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है।हिंदुत्व की विचारधारा से प्रभावित दर्शकों में इस फ़िल्म को ले कर काफी उत्साह है क्योंकि ये फ़िल्म 1882 में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखी गयी पुस्तक आनंदमठ से प्रेरित है। इसकी पृष्टभूमि अंग्रेजों के खिलाफ पंडित भवानी चरण पाठक के नेतृत्व में हुए सन्यासी विद्रोह पर आधारित है।
आज बॉलीवुड अनेक फिल्मों और वेब सीरीज के माध्यम से हिन्दू साधुओं की छवि को नकारत्मक रूप से प्रचारित कर रही है ऐसे में इस फ़िल्म में साधु-सन्यासियों की जो शौर्यगाथा देखने को मिलेगी इसे ले कर लोग काफी उत्सुक हैं। बंकिम चंद्र चटर्जी की जिस पुस्तक आनंदमठ पर ये फ़िल्म आधारित है “वंदेमातरम” गीत भी उसी पुस्तक का हिस्सा है जिसे 24 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्र गीत के रूप में स्वीकारा गया। इसके अतिरिक्त इसी पुस्तक पर आधारिक 1952 में “आंनदमठ” नामक फ़िल्म भी आ चुकी है।
क्यों भडका था सन्यासी विद्रोह
छद्म मानसिकता वाले हिन्दू विरोधी इतिहासकारों द्वारा साधु-संतों के खिलाफ अनर्गल प्रलाप किये जाते हैं पर देश को ये कभी खुल कर नही बताया गया की साधु-सन्यासी ही वो पहले वर्ग थे जिन्होंने सर्वप्रथम अंग्रेजों से लोहा लिया था। सन 1764 के बक्सर युद्ध के उपरांत जब अंग्रेजों ने बंगाल प्रान्त की दीवानी का अधिकार हासिल कर लिया तो उन्होंने किसानों, जमींदारों पर भारी भरकम कर लाद दिए, जिसके फलस्वरूप किसानों की हालत ये हुई कि वो अपने ही उगाये अन्न के लिए तरसने लगे और देखते देखते 1770 में बंगाल जो तब ओडिसा,बिहार और असम को भी खुद में जोड़े था में एक कृत्रिम अकाल आ गया।
अंग्रेजों क्रूरता के खिलाफ सबसे बड़ी जंग की कहानी
ये अकाल अंग्रेजी प्रशासन की क्रूरता का परिणाम था। उस दौर में संचार का कोई माध्यम नही था, ऐसे में साधु-संत देश भर के तीर्थस्थलों तक आते जाते रहते थे और रास्ते में जिस भी गाँव में विश्राम करने रुकते वहां के लोगो को देश भर की परिस्थितियों से अवगत कराते थे। साधु-सन्यासी जब लोगो में अंग्रेज सरकार की अमानवीय नीतियों के खिलाफ जनता के बीच जागरूकता अभियान चला रहे थे तब अंग्रेजी खेमा इससे बचने की युक्तियाँ लगाने लगा। अंग्रेजों ने एक युक्ति लगाई और साधु-सन्यासियों को डकैत-लुटेरा बता कर तीर्थ क्षेत्रों में प्रतिबंधित कर दिया। साधु संतों को अपने धर्म का ये अपमान बिल्कुल भी बर्दाश्त नही हुआ और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन का बिगुल फूँक दिया। अंग्रेजी अफसरों के खजानों को लूट कर उसे निर्धन जनता में बाँटने लगे और इसमे उन्हें स्थानीय जनता का भी सहयोग मिलने लगा।
1770 से ले कर 1777 तक अंग्रेजों के खिलाफ ये लड़ाई पूरी आक्रमकता के साथ लड़ी गयी, कई क्षेत्रों को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करा लिया गया। 1777 के बाद भी कई स्थानों पर 1810 के दशक तक ये विद्रोह जारी रहा जिसमे सैंकड़ों साधु-संतों ने अपने प्राण गवाएं पर आज शायद ही इसके बारे में किसी को पता है।
फिल्म समीक्षक भी दिखा रहे हैं दिलचस्पी
फिल्म 1770 अपने इन्ही ऐतिहासिक परिदृश्य के कारण जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही है और अगर फ़िल्म समीक्षकों की मानें तो ये बाहुबली, RRR जैसे फिल्मों को भी पीछे छोड़ कर नया इतिहास रचेगी। ये देखना दिलचस्प होगा की निर्देशक और कलाकार 18वीं सदी की इस घटना को 21वीं सदी के दर्शकों के बिच कितने बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं साथ ही अभी तक इस फिल्म के स्टारकास्ट की घोषणा होनी बाकी है, माना जा रहा है की बाहुबली फेम अभिनेता प्रभास ही यहाँ मुख्य भूमिका में होंगे, फिल्म का बजट 150 करोड़ से अधिक बताया जा रहा है। दर्शक इस घटना को रुपहले पर्दे पर देखने को उत्सुक हैं।