जानें पूरा मामला
आपको बता दें आज, 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 103वें संशोधन को जारी रखने के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण को जारी रखा है।
हालांकि 5 में से 2 जज मुख्य न्यायधीश यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट्ट इस फैसले के विरोध में थे।
यूयू ललित का मानना था की आरती रूप से कमजोर और गरीबी झेलने वालों को सरकार आरक्षण दे सकती हैं लेकिन इससे SC,ST और OBC को दूर रखना असंवैधानिक है।
और इसका विरोध करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा केवल आर्थिक आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण किसी भी प्रकार से असंवैधानिक नहीं जब तक की आरक्षण 50% तय सीमा के आधार पर है।
दिनेश माहेश्वरी के इस बयान पर बेंच के दो और जजों ने सहमति दिखाई और इस तरह आरक्षण के पक्ष में पांच जजों की बेंच ने 3-2 के अंतर से फैसला सुनाया।
क्या था पूरा मुद्दा
अगर बात करें इस मुद्दे के इतिहास की तो आपको बता दें ईडब्ल्यूएस कोटे की संवैधानिक वैधता को चुनती दी गई थी, जिसे उस समय के सीजेआई एसए बोबडे ने 5 अगस्त को ही संवैधानिक पीठ को सौंप दिया था।