मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का बयान
आपको बता दें हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्य विधानसभा में हिंदी थोपने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था जिसमे उन्होंने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के खिलाफ जमकर आवाज उठाई थी।
उन्होंने अपने बयान में साफ कहा था की हम पर एक और भाषा नहीं थोपनी चाहिए। संसदीय राजभाषा की समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड में किया गया प्रस्ताव भारत की आत्मा पर सीधा हमला है।
इस मुद्दे पर बयान देते हुए स्टालिन ने कहा था यदि हिंदी को पूरे भारत में थोपा गया तो गैर-हिंदी भाषी आबादी को अपनी ही भूमि पर द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनकर रह जाएंगे।
भाजपा का विरोध प्रदर्शन
जिसके बाद से ही हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी। इस कड़ी में भाजपा आज एम के स्टालिन के इस प्रस्ताव के खिलाफ डीएमके सरकार का पर्दाफाश करने के लिए सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन करेगी।आपकी क्या राय है, क्या हिंदी को राष्ट्रभाषा भाषा के रूप में पेश किया जाना चाहिए या नहीं, कॉमेंट कर हमें जरूर बताएं।