मैनपुरी के मैदान में डिंपल नहीं, अखिलेश यादव की राजनीति दांव पर लगी है !

    आजमगढ़ उपचुनाव में भी आखिर तक डिंपल यादव के चुनाव लड़ने की काफी चर्चा रही, लेकिन अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया. तब समझा गया कि वो डिंपल यादव को राज्य सभा भेजने के बारे में सोच रहे हैं – लेकिन वहां भी समाजवादी पार्टी के कोटे से आरएलडी नेता जयंत चौधरी को भेज कर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी नेताओं को एक और सरप्राइज दे डाला.

    अखिलेश यादव को आजमगढ़ की अपनी सीट तो गंवानी ही पड़ी थी, आजम खान की रामपुर लोक सभा सीट से भी हाथ धोना पड़ा था. अब उसी रामपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है. साथ ही, यूपी में एक और विधानसभा सीट खतौली में भी उपचुनाव होना है – ये तो ऐसा लगता है जैसे अखिलेश यादव के सामने यूपी चुनाव 2022 जैसी ही चुनौती फिर से खड़ी हो गयी हो.

    मैनपुरी (Mainpuri Bypoll) लोक सभा सीट समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है और वहां से डिंपल यादव के चुनाव लड़ने को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. ध्यान देने वाली बात ये है कि मैनपुरी की ही करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव फिलहाल विधायक हैं – और डिंपल यादव के लिए राहत देने वाली बस इतनी ही बात है.
    अखिलेश यादव जहां मैनपुरी के लिए डिंपल यादव का नाम उम्मीदवार के रूप में घोषित कर चुके हैं, बीजेपी की तरफ से साफ तौर पर कोई संकेत भी नहीं दिया गया है. कयास लगाये जाने की बात और है. कहने को तो लोग मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की दो बहुओं के बीच जंग की संभावना भी जताने लगे हैं.


    निश्चित तौर पर मुलायम सिंह की दूसरी बहू अपर्णा यादव को बीजेपी समाजवादी पार्टी के खिलाफ ट्रंप कार्ड समझ रही हो, लेकिन मैनपुरी की लड़ाई बीजेपी के लिए आजमगढ़ जैसी आसान तो नहीं होगी. भले ही मायावती ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की ही तरह आजमगढ़ उपचुनाव में भी बीजेपी की मददगार की भूमिका में देखी गयी हों, लेकिन मैनपुरी में भी वो बिलकुल वैसा ही करेंगी, ऐसा तो नहीं लगता .