जानिए ‘झाड़ू’ चलने पर भाजपा को गुजरात में कैसे मिलेगा फायदा?

    गुजरात के 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक ऐसा इतिहास रचा था, जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया। माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस ने कुल 182 सीटों वाली विधानसभा में 149 सीटों पर सफलता हासिल की थी। कोई दूसरा दल अब तक इस आंकड़े के आसपास भी नहीं पहुंच पाया। कांग्रेस ही इसके पहले यानी 1980 के चुनाव में 141 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। लेकिन सब कुछ ठीकठाक रहा तो प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भाजपा इस बार यह रिकॉर्ड तोड़ सकती है। उसकी इस जीत में सबसे बड़ी भूमिका अरविंद केजरीवाल ही निभा सकते हैं, जिन्हें गुजरात में इस समय भाजपा का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी बताया जा रहा है।

    दरअसल, इसी साल की फरवरी में संपन्न हुए उत्तराखंड और गोवा विधानसभा चुनाव परिणाम के आंकड़े बताते हैं कि इन राज्यों में भाजपा को लगभग उतने ही प्रतिशत वोटों के अंतर से जीत मिली, जितनी कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने हासिल की थी। चुनावी अंकगणित कहता है कि यदि आम आदमी पार्टी इन चुनावी मैदान में न होती, तो ये वोट कांग्रेस को जाते और वह इन राज्यों में सरकार बना सकती थी।

    गुजरात में क्या है स्थिति !

    राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भी उत्तराखंड और गोवा जैसी परिस्थितियां बनती दिखाई पड़ रही हैं। यदि यहां आम आदमी पार्टी मजबूत हुई और उसने कांग्रेस के पांच से सात फीसदी वोट काटने में भी सफलता हासिल कर ली, तो वोटों के इस विभाजन का सीधा लाभ भाजपा को होगा और वह बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब हो सकती है। दरअसल, पीएम मोदी की लोकप्रियता के कारण भाजपा यहां पहले ही मजबूत स्थिति में है। उसका सरकार बनाना भी लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन इस बार उसकी जीत का अंतर कितना रह सकता है, इस पर बहस हो रही है।