72 Hoorain Controversy
दशकों से जिहादियों और आतंकियों की मिली भगत से धर्म के नाम पर लोगों को आतंक की राह पर धकेलने का काम किया जा रह है. इसी मुद्दे को उजागर करते हुए निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान की फ़िल्म 72 Hoorain एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल फिल्म के कंटेंट को देखते हुए सपा सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क ने इस फ़िल्म को मनगढंत बताते हुए फ़िल्म के बैन की मांग की है.
सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने की बैन की मांग
इस फ़िल्म को लेकर सपा सांसद ने कहा कि इस तरह की “फिल्में लाकर मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है. शफीकुर्रहमान बर्क ने चेतावनी दी कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने इस्लाम के हवाले से बताया कि अच्छे आमाल से जन्नत में हूरें मिलने का जिक्र है, लेकिन किस तरह मिलेंगी इसका विवरण नहीं है. इस तरह की फिल्में मुसलमानों के मजहब में खुल्लमखुल्ला दखलंदाजी है और मुसलमान बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा.”
दो आतंकियों की कहानी बताती है फ़िल्म
संजय पूरण सिंह चौहान के निर्देशन में बानी ये फिल्म दरअसल आतंकियों द्वारा युवाओं को ब्रेनवॉश करने की कोशिश और उस प्रक्रिया को दिखाने की कोशिश करती है. इस फ़िल्म की कहानी हाकिम और बिलाल नाम के दो पाकिस्तानी लड़कों की है, जो भारत में मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया पर आत्मघाती हमला करने आते हैं. ये दोनों धर्म और जेहाद के नाम पर मौलाना सादिक की बातों से प्रभावित हो आतंक का रास्ता अपनाते हैं. इस फ़िल्म में मौलाना सादिक उन्हें बताता है कि जेहाद करते हुए अगर सहादत हुई तो जन्नत में उनका किस प्रकार से स्वागत किया जायेगा। मौलाना उन्हें बताता है कि ‘शाहदत के बाद 72 कुवांरी हूरें उनके आसपास होंगी, मरने के बाद उनमें 40 मर्दों के बराबर ताकत होगी।’