Noida
नोएडा (Noida) में सुपरटेक का एक और फर्जीवाड़ा मामला सामने आया है, बिल्डर ने जिस रोमानो परियोजना का नाम बताकर निवेशकों से अरबों रुपये का निवेश करवा लिया। उस परियोजना का प्राधिकरण के दस्तावेज कहीं भी पंजीकृत नहीं है। बता दें कि इस योजना के तहत 2335 फ्लैट भूखंड बनाए जाने थे। बिल्डर लोगों को आशियाना का सपना दिखाकर निवेश करवा दिया।
कंपनी करीब 400 करोड़ी डिफॉल्टर
सुपरटेक बनाने वाली कंपनी करीब चार सौ करोड़ रूपये की डिफॉल्टर है, यहां भूमि प्राधिकरण के मर्जी के बिना सबलीज भी नहीं करा सकती है। अब इस मामले में अधिकारियों पर शक किया जा रहा है और उन पर लगातार आरोप लग रहे हैं। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने सुपरटेक के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है। अरोड़ा की गिरफ्तारी के बाद अधिकारी उसकी पड़ताल कर रही है।
प्राधिकरण ने खंगाले दस्तावेज
सुपरटेक मामले में बताया जा रहा है कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने जब फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा (FGN) के किनारे सेक्टर-118 में रोमानो परियोजना के दस्तावेजों को खंगाला गया तो वहां भी कुछ नहीं मिला। अधिकारियों की जांच में पता चला कि रोमानो परियोजना के फ्लैट आइवीआर प्राइम डेवलपर्स (आवाडी) प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित भूखंड पर खड़े किए हैं।
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2013 में की गई थी जमीन आवंटित
आइवीआर को 2013 में प्राधिकरण ने एनएफजी के किनारे 1 लाक 42 हजार 967 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई थी। जिसे सबलिज पर दिए जाने के कोई डूॉक्यूमेंट अथॉरिटी के पास नहीं है। रोमानो प्रोजेक्ट के नाम पर सुपरटेक निवेशकों की मेहनत की कमाई अपने प्रोजेक्ट में निवेश करवाता रहा और उनकी आंखों में धूल झौंकता रहा। आइवीआर टावर डेवलपर्स (आवाडी) करीब 400 करोड़ रुपये का डिफॉल्टर है। ऐसे में कंपनी इस जमीन को सबलीज पर भी नहीं दे सकती है।
रोमाना प्रोजेक्ट की प्रक्रिया
- सेक्टर-58 से लॉन्च हुई प्रक्रिया
- 24 मंजिला का टावर बनने की बात कही थी।
- 2335 फ्लैट बनाने की योजना
- तीन टावर बनाए जा चुके, लेकिन तीनों ही अधूरे पड़े हैं।
- 250 परिवार खुद से ही कब्जा करके रहने लगे हैं।
- सुविधा के नाम पर कुछ नहीं
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