Greater Noida Farmer Protest: किसानों ने ठुकराया बातचीत का प्रस्ताव, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के आने के लगाए जा रहे कयास

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Greater Noida Farmer Protest

प्रदर्शनकारी इन दिनों ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण पर चल रहे किसान आंदोलन(Greater Noida Farmer Protest) को अब पूरी तरह से सियासी चोला पहनाने के मूड में नज़र आ रहे हैं. बीते दिन जहां एक बार फिर से दिन रात आंदोलन की घोषणा करते हुए किसान आंदोलन की शुरुवात हुई हैं वहीं इसके साथ ही सूत्रों की मानें तो प्रदर्शन के अगुआ किसान संगठनों और राजनीतिक पार्टियों की गोलबंदी करके प्राधिकरण और सरकार को झुकाने का भी अथक प्रयास में जुटे हैं.

अथॉरिटी ने बातचीत का प्रस्ताव भेजा, किसानों ने ठुकराया, रखी यह बड़ी शर्त

किसानों ने ठुकराया बातचीत का प्रस्ताव 

बीते दिन एक बार फिर से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बाहर किसान आंदोलन को शुरू हो गया है। इस दौरान नवागत सीईओ रवि कुमार एनजी ने पत्रकार वार्ता के दौरान किसानों की समस्याओं का हल बातचीत के माध्यम से निकालने की बात रखी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानों ने इस प्रस्ताव से इंकार कर दिया। उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि ‘पिछला समझौता राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर की मौजूदगी में हुआ था और उन्हीं की मौजूदगी में ही आगे कोई बातचीत होगी।’

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प्रदर्शन को लेकर क्या बोल गए अध्यक्ष नरेंद्र भाटी 

किसान प्रदर्शन पर बोलते हुए किसान सभा के जिला अध्यक्ष नरेंद्र भाटी ने कहा कि ‘तीनों प्राधिकरणों ख़िलाफ़ समान मुद्दे हैं। ग्रेटर नोएडा का किसान हमेशा मुद्दों को सुलझाने में रहा है। दस प्रतिशत का प्लाट,  मुआवजा बढ़ाना, आबादी की नीति बनवाना, 64 परसेंट मुआवजा बढ़वाना, यह सारे हक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विरुद्ध किसानों ने संघर्ष करके हासिल किए हैं। जिनका लाभ नोएडा और यमुना अथॉरिटी के किसानों को भी मिला है। अबकी बार भी ग्रेटर नोएडा में 10% और अन्य मुद्दों पर लड़ाई जीती जाएगी। जिसका लाभ अन्य दोनों प्राधिकरण के दायरे वाले किसानों को मिलेगा।’