कुलधरा : रातों-रात कहाँ गायब हो गये 84 गाँवों के लोग

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रहस्यमयी दुनिया 

हिन्दुस्तान में रहस्यों से भरे हुए स्थानों की कमी नहीं है | उनमें से कुछ रहस्य तो ऐसे भी हैं जो न सिर्फ सोचने पर मजबूर कर देते हैं बल्कि उन रहस्यों के बारे में और अधिक जानने की लालसा भी उठती है आज की कहानी भी एक ऐसे रहस्य की है| जिसके बारे में जानकार आप और भी जानने की कोशिश करेंगे | यह कहानी एक दो नहीं बल्कि 84 ऐसे गाँवों के बारे में है जो रातों रात खाली हो गये|

 

पालीवाल ब्राम्हणों का श्राप 

यह घटना है जैसलमेर की हालाँकि जैसलमेर में भूत वाले गाँवों की कमी नहीं है| लेकिन उनमें से सभी गाँव भानगढ़ किले की तरह प्रसिद्ध नहीं है| जैसलमेर से 18 किलोमीटर दूर पालीवाल ब्राम्हणों द्वारा बसाया गया एक गाँव था जिसका नाम था कुलधरा, उस गाँव के आस पास 84 गाँवों में सिर्फ पालीवाल ब्राम्हण कुटुंब ही रहते थे | अपने भरण पोषण के लिए ये मुख्यता खेती और मवेशियों पर निर्भर थे| लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि ये गाँव रातो रात सुनसान हो गया| यहाँ के सभी लोग यहाँ से चले गये और इस गाँव में छोड़ गए एक श्राप जो आज भी है | वो श्राप क्या है और क्यूँ दिया गया है|

 

प्रचलित हैं कई कहानियां 

इस गाँव के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं जैसे कि इस गाँव में यहाँ के रहने वालों की अतृप्त आत्माएं आज भी यहाँ होती हैं एवं कुछ लोगों का मानना है कि इस ज़मीन के नीचे काफी बड़ी मात्रा में खजाना छिपा हुआ है| और भूत प्रेत की कहानियां इस लिए फैलाई गयी ताकि यहाँ के खजाने को कोई लूटने की कोशिश न करे |
इन कहानियों में सबसे प्रचलित कहानी आज से 2०० साल पहले की है| जब जैसलमेर के मंत्री के रूप में सलीम सिंह ने कार्यभार संभाला

कुलधरा गाँव (चित्र साभार – गूगल)

 

 

क्रूर मंत्री सलीम सिंह

सलीम सिंह अत्यंत क्रूर था | दया क्षमा विनय वो इन सारे शब्दों से अनभिज्ञ था | उसने शाही कोष भरने के लिए गाँव वासियों पर ढेर सारे कर लगा दिए | कुलधरा वासी जी तोड़ मेहनत करके किसी तरह से कर से मुक्त होते |

 

ब्राम्हण कन्या  

एक दिन जब जैसलमेर का दीवान सलीम सिंह कुलधरा गाँव कर वसूलने पहुंचा तो वहां उसे एक 18 वर्ष की एक ब्राम्हण कन्या दिखी | जिसके सौन्दर्य को देख कर सलीम पागल हो गया और उससे विवाह करने की ठान ली | वह कन्या कुलधरा के मुखिया की बेटी थी | मुखिया ने इस विवाह के लिए मना कर दिया | जब इस बात की जानकारी सलीम को हुई तो उसने कहा कि अगर मुखिया ने उसे अपनी बेटी नहीं दी वह उस गाँव पर और भी कर लगाएगा |

उठा ले जाने की दी धमकी 

उसने गाँव में आकर ये भी ऐलान कर दिया की उसे वो लड़की सौंप दी जाए नहीं तो वह उसे बलपूर्वक उठा कर ले जायेगा | गाँव के सभी लोग इकठ्ठा हो गये उन्हें इस समस्या का समाधान खोजना था क्यूंकि वह उस वक़्त भी ज़रूरत से ज्यादा कर दे रहे थे एवं बहुत मुश्किल से अपना पेट भरने के लिए उनके पास अनाज बचता था | सभी ने मिलकर निर्णय लिया कि वो मुखिया की बेटी को उस क्रूर मंत्री के हाथों नहीं सौंपेंगे और वे सभी रातों रात उस जगह को छोड़ कर चले गये |

 

आज भी सूनसान है कुलधरा 

आज 200 सालों बाद भी उनका श्राप उस गाँव में चारो तरफ पसरा हुआ है | उन 84 गाँव के लोगों के बारे कहीं कोई जानकारी नहीं है लेकिन उनके जाने के बाद ये गाँव सूनसान ही रहे है | उस घटना के बाद जो भी इस गाँव में रुकता है उसका कहीं भी नामोनिशान नहीं मिलता है |
कुलधरा नाम का यह गाँव अभी पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में है|