इटावा का उपचुनाव शुक्रवार को चर्चा में रहा. यह चुनाव काफी छोटा था लकिन इटावा में अखिलेश यादव का घर और गढ़ दोनो है इसलिए यह चर्चा का विषय बना रहा. दरअसल सुनिता यादव जो ब्लॉक प्रमुख थी वो समाजवादी पार्टी के समर्थन से ब्लॉक प्रमख बनी थी लेकिन उनके पति शिवकिशोर यादव के ऊपर गैंगस्टर एक्ट लगने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनके खिलाफ क्षेत्र पंचायत सदस्या अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. जिसके चलते सुनिता यादव को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
क्यों रखा था अविश्वास प्रस्ताव ?
इसके बाद शुरू घेराबंदी शुरू हुई. अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभीषेक यादव दो विधायक समेत 5 लोगों की टीम बनाई गई. खड़ी हुई प्रमिला यादव जो की समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव उमेश यादव की मां थी. उनको समाजवादी पार्टी ने समर्थन दिया. वहीं बीजेपी की तरफ से सांसद रमा शंकर काठेरीया ने इसको अपने साख की बात बना ली और उन्होने राकेश यादव की पत्नी राधा देवी मैदान में उतारी. कुल मिलाकर चुनाव हुए और चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी को केवल 6 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.
क्या रही सपा के हार की वजह ?
हार के सपा पक्ष का कहना था कि उनके ऊपर दबाव बनाया गया और मतपेटयों से भी छेड़छाड़ की गई है जिसके कारण उन्हें हार देखनी पड़ी. वहीं अगर हार की बात की जाए तो ऐसे चुनावों में हार की वजह सत्ता पार्टी और पावर होता है. कहा जाता है कि ब्लॉक प्रमुख का चुनाव मनी और पॉवर का होता है. हालांकि इस चुनाव की बात की जाए तो चुनाव काफी टक्कर वाला रहा लेकिन सपा को हार इसलिए मिली क्योकि सपा पहली उम्मीदवार जिनके पति के ऊपर गैंगस्टर एक्ट लगा उनको बीडीसी अपना समर्थन नहीं देना चाह रही थी.