कहते है कि विदेश नीति मे अमेरिका जैसे देश पर आंख मूंद कर के भरोसा तो बिल्कुल नही करना चहिए। जिन देशों ने भरोसा जताया, उनका क्या हाल हुआ वो तो पूरी दुनिया के सामने है। भारत इन दिनों ऐसे चतुर देशों को सबक सिखा रहा है।अमेरिका ने पाकिस्तान जैसे आतंकी पालने वाले देश को F16 लड़ाकू विमानों को संचालन के लिए अरबों डॉलर दे दिया। लेकिन जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में ही रहकर अमेरिका को लताड़ लगाई, तब जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये कहकर बवाल मचा दिया था कि बाइडेन ने कहा था कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देशों में से एक है जिसके पास बिना समझौते के ही परमाणु हथियार है।
इस बयान के बाद से ये साफ हो गया था कि भारत को नजर अंदाज करके एशिया में राजनीति तो नही कर सकता अमेरिका। ये मोदी नीति के कारण ही संभव हो पाया है कि पाकिस्तान की तरफ बढ़ रहा अमेरिका अचानक भारत से रिश्तों को बेहतर करने के लिए मनोहार करने लगता है। रूस से बेहद खफा अमेरिका ने भारत के साथ काम करने की इच्छा ज़ाहिर की है। लेकिन इसके साथ रूस के लिए नज़रिया बदलने का भी मुद्दा उठाया। वाइट हाउस ने कहा है कि बाइडेन प्रशासन रूस के संक्रमण से दूर यानी अलग होकर भारत के साथ काम करने के लिए प्रतिबग्ध है। वाइट हाउस ने आगे कहा की ऐसे कई देश हैं जिन्होंने ये अच्छे से सीखा है की मॉस्को ऊर्जा या सुरक्षा का एक विश्वसनीय श्रोत नही है। अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि जब रूस के साथ भारत के संबंधों की बात आती है , तो अमेरिका ने लगातार ये बात कही है कि ये एक ऐसा रिश्ता है , जो दशकों के दौरान विकसित और मजबूत हुआ था। वास्तव में ये शीत युद्ध के दौरान , ऐसे समय में डेवलप हुआ था, जब संयुक्त राज्य अमेरिका , भारत के साथ आर्थिक भागीदारी , सुरक्षा भागीदारी, सैंया साझेदार बनने की स्तिथि में नही था। अब ये बदल गया है , पीछले पच्चीस साल या इतने वर्षों में बदल गया है । ये वास्तव में एक विरासत है , एक द्विदल्य विरासत है, जिसे देश ने पिछले तिमाही शताब्दी के दौरान हासिल किया ।
प्राइस ने कहा कि अमेरिका ने हर फील्ड इकोनॉमी, सिक्योरिटी और मिलिट्री कोऑपरेशन में भारत के साथ अपनी पार्टनरशिप को गहरा करने की कोशिश की है।
प्राइस ने कहा कि हालाकि हम हमेशा से स्पष्ट रहे है , ये रातों रात नही होगा। भारत एक बड़ा देश है , मिसाल देश है , एक बड़ी अर्थव्यवस्था है , जिसकी मांग की जरूरत है। रूस से भारत द्वारा तेल की खरीद के सवाल पर प्राइस ने कहा कि अमेरिका ये भी स्पष्ट कर चूका है कि अब रूस के साथ हमेशा की तरह व्यापार करने का समय नहीं है। रूस किसी भी भूमिका में भरोसेमंद नही है , इसीलिए ये न केवल यूक्रेन हित में है , ये न केवल क्षेत्र हित में है , सामूहिक हित में है की भारत समय के साथ रूस पर अपनी निर्भरता कम करे बल्कि भारत के ये अपने द्विपक्षीय हितों में भी है। अमेरिका भले ही भारत से ये छोटे छोटे शब्दों में बार बार कहे कि भारत को रूस से दूर हो जाना चाहिए लेकिन भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत अपने लोगों की और अपने हितों की रक्षा करेगा और इसके लिए वो दुनिया के किसी भी देश के साथ व्यापार कर सकता है। भारत के 130 करोड़ लोगों को हर हाल में उन्हें विकसित देश बनाने की तरफ लेकर जाना है। भारत की तरफ से इस बयान के बाद से अब देखना होगा कि अमेरिका अब आगे क्या रुख इख्तियार करता है?