गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर राजस्थान से बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं. जहां कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर 20 से अधिक मंत्रियों को गुजराती वोटर्स साधने के लिए उतारा है वहीं बीजेपी ने भी गुजरात में बसे 15 लाख राजस्थानियों को रिझाने के लिए राजस्थान से बड़े स्तर पर पार्टी नेताओं की ड्यूटी लगाई है. जानकारी के मुताबिक बीजेपी आलाकमान ने राजस्थान से प्रदेशाध्यक्ष, 4 केंद्रीय मंत्री, 2 सांसद-पूर्व सांसद, 7 विधायक-पूर्व विधायक को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. वहीं राजस्थान समेत बीजेपी ने देशभर के पार्टी के सीनियर लीडर्स और केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है.
गुजरात में राजस्थानियों का बोलबाला
गुजरात में राजस्थान के नेताओं को जिम्मेदारी देने के पीछे बड़ा कारण वहां बसे राजस्थान मूल के लोग हैं. आंकड़ों को देखें तो गुजरात की कुल आबादी 7 करोड़ 4 लाख के करीब है जिसमें से करीब 1.50 करोड़ दूसरे राज्यों के आए लोगों की बसावट हैं. वहीं इन पड़ोसी राज्यों के लोगों में सबसे ज्यादा राजस्थानी हैं.
वहीं इनमें 4 लाख आदिवासी हैं जो दक्षिण राजस्थान से आते हैं. इसके अलावा अहमदाबाद में 2.25 लाख और सूरत में 2.75 लाख से ज्यादा राजस्थानी लोग निवास करते हैं. ऐसे में बीजेपी ने राजस्थान के केंद्रीय मंत्रियों, सांसद, विधायकों को प्रवासी राजस्थानियों को साधने का जिम्मा दिया है.
हाल में गुजरात के लोगों के लिए बीजेपी ने एक प्रवासी सम्मेलन भी आयोजित किया था. इसके अलावा सतीश पूनिया ने अहमदाबाद, सूरत, गांधीनगर का चुनावी दौरा किया था. वहीं राजस्थान बीजेपी के प्रदेश महामंत्री सुशील कटारा, प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण सिंह देवल और जालोर जिलाध्यक्ष श्रवण सिंह राव भी काफी समय से गुजरात में डेरा डाले हुए हैं. मालूम हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पिछले 22 साल में गुजरात में सबसे कमजोर दिखाई दी थी जहां उसे 99 सीटें मिली थी.
55 विधानसभा सीटों पर अहम राजस्थानी
बता दें कि गुजरात को 4 जोन नॉर्थ, सेंटर, साउथ और सौराष्ट्र में बांटकर बीजेपी ने चुनावी रणनीति तैयार की है जिसके मुताबिक गुजरात के 43 विधानसभा क्षेत्रों में राजस्थान मूल निवासी वोटर्स अहम रोल निभाएंगे. वहीं 9 जिलों के 43 विधानसभा क्षेत्रों में हर विधानसभा में 5 हजार से 10 हजार प्रवासी राजस्थानी वोटर्स की संभावना है.