इंडोनेशिया के बाली में एक मंदिर है – जहाँ स्थित हैं ‘गरुड़ विष्णु कंचन’ (GWK) की प्रतिमा। 122 मीटर लंबी ये मूर्ति इसी के नाम पर स्थापित एक संस्कृति पार्क का हिस्सा है। सितंबर 2018 में इसका उद्घाटन हुआ था। 400 फ़ीट की ये मूर्ति इंडोनेशिया में सबसे लंबी है। गरुड़ कैसे अमृत की खोज के लिए निकले थे, इसमें ये दर्शाया गया है। राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इस कल्चरल पार्क का उद्घाटन किया था। साथ ही अब G-20 से भी इसका रिश्ता जुड़ गया है।
GWK के ही ‘Lotus Pond Area (कमल के तालाब वाला क्षेत्र)’ को G-20 देशों के नेताओं के रात के भोजन के लिए स्थान के रूप में चुना गया था। इससे इस पार्क की परंपरागत सुंदरता को दुनिया तक पहुँचाने में इंडोनेशिया को मदद मिली। इसके लिए पिछले कुछ महीनों में पार्क की रूपरेखा बदल कर इसे और भव्य बनाने के प्रयास जारी थे। लोटस पॉन्ड एरिया 7500 लोगों की मजहबी की क्षमता रखता है। 400 मुख्य अतिथियों के अलावा अन्य प्रतिनिधियों के लिए जेंडेला बाली रेस्टॉरेंट में डिनर की व्यवस्था की गई थी।
गरुड़, भगवान विष्णु, कमल… मोदी सरकार ने नहीं, इंडोनेशिया ने G-20 को दी सनातन पहचान
इस क्षेत्र में छूने के पत्थर से कलाकारी की गई है। इसके अंत में पक्षीराज गरुड़ की प्रतिमा है, जिसमें वो भगवान विष्णु को अपनी पीठ पर बिठाए दिख रहे हैं। ‘तीर्थ अगुंग’ के पवित्र तालाब भी यहीं पर हैं। भगवान विष्णु के हाथ में कमल का फूल भी है, जिसे सौंदर्य, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। कमल के फूल कीचड़ में खिलते हैं। जहाँ इसकी जड़ें अंदर रहती हैं, सुंदर फूल ऊपर आते हैं। ये मानवता के विकास का भी प्रतीक है।
पहले फ्लोर से लेकर 23वें तक, दुनिया भर से आए मेहमानों के स्वागत और उन्हें घुमाने-फिराने की पूरी व्यवस्था की गई थी। इंडोनेशिया, जहाँ मुस्लिमों की जनसंख्या दुनिया में किसी भी देश से ज्यादा है, वहाँ की सरकार को पता है कि उनकी संस्कृति सनातन धर्म में निहित है और इसलिए वो चाहते हैं कि ये स्थल दुनिया भर में पर्यटन और तीर्थाटन का बड़ा केंद्र बने। 80 के दशक में ही मूर्तिकार न्यूमैन नुआर्ता ने इस प्रतिमा को डिजाइन किया था।
सनातन संस्कृति से कॉन्ग्रेस के नफरत का कारण क्या?
इसे आप क्या कहेंगे कि जहाँ दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या देश अपनी सनातन जड़ों को मजबूत कर रहा है और इसे दुनिया भर तक पहुँचा रहा है, वहीं सनातन की धर्मभूमि भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी इसी संस्कृति को मिटाने पर तुली हुई है। पार्टी ने राम मंदिर के निर्माण में रोड़ा अटकाए रखा। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते देश की संपत्ति पर पहला हक़ मुस्लिमों का बताया। 26/11 मुंबई हमले को इस पार्टी ने RSS की साजिश करार दिया था, जबकि इसे पाकिस्तान ने अंजाम दिया था।
ये वही दल है, जिसके शासनकाल में केंद्रीय गृह मंत्री रहते शिवराज पाटिल ने ‘भगवा आतंकवाद’ की मनगढंत थ्योरी को आगे बढ़ाया। आज वही शिवराज पाटिल कहते हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जिहाद की शिक्षा दी है। कर्नाटक में पार्टी के कोई नेता हिन्दू शब्द को विदेशी बताता है तो दिल्ली में बैठे उसके ‘दलित नेता’ दिन-रात हिन्दू धर्म व ब्राह्मणों को अपशब्द कहते हैं। अतः, गरुड़-कमल-विष्णु – इन पार्टी को नफरत होना आश्चर्य की बात नहीं।