ताजमहल के बंद कमरों को खोलने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया ख़ारिज 

    सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने बिल्कुल सही फैसला किया था। यह याचिका जनहित की बजाय, प्रचार के लिए दाखिल की गई मालूम पड़ती है।

    चित्र साभार: गूगल
    चित्र साभार: गूगल

    हम रिट याचिका पर विचार करने में सक्षम नहीं

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से इस याचिका के खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में आदेश को चुनौती दी थी और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि ताजमहल के कमरे को खोलने की मांग के लिए किसी ऐतिहासिक शोध की जरूरत है। हम रिट याचिका पर विचार विमर्श करने में योग्य नहीं हैं। यह याचिका खारिज की जाती है।

    एक तथ्य खोज समिति गठन की मांग

    याचिका को “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार देते हुए
    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने खारिज कर दिया।
    इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से पीठ ने इनकार कर दिया। मार्च 2022 में जिसने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया था। वहीं याचिकाकर्ता ने ताजमहल के वास्तविक इतिहास का अध्ययन करने और विवाद को शांत और स्पष्ट करने के लिए एक तथ्य खोज समिति के गठन की मांग की है।

    22 कमरे अभी तक हैं बंद

    बीते दिनों दायर याचिका में ताजमहल में मौजूद 22 कमरों के दरवाजों को खोलने की मांग की गई थी। जिससे पता चल सके कि इनके अंदर किसी देवी देवता की मूर्ती या शिलालेख है या नहीं। ताजमहल के ये 22 कमरे कई दशकों से बंद हैं। इतिहासविदों के हिसाब से कहा जाता है कि मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे हैं, जो अभी तक बंद पड़े हुए हैं।