जानें गोवर्धन पूजा की महत्वपूर्ण बातें !

    दोस्तों हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोर्वधन पूजा का पर्व मनाया जाता है. लोग घर के आगंन में गोबर से गोर्वधन पर्वत्र का चित्र बनाकर गोर्वधन भगवान की पूजा करते है. दीवाली के ठीख अगले दिन गोर्वधन त्यौहार को मनाया जाता है. इस साल गोर्वधन पूजा 25 अक्टूबर को की जाएगी.

    इस पर्व पर गोर्वधन और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है. गोर्वधन पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार होता है. दिपावली के अगले दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है. इसे अनपुट के नाम से भी जानते है. इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व होता है. इस त्यौहार में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है. इस पर्व की अपनी मान्यता और लोक कथाएं है. गोर्वधन पूजा में गौ धन और गायों की पूजा की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार होती है जैसे नदियों में गंगा….गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा जाता है. देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख-स्मृद्धि प्रदान करती है उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वस्थ रूपी धन प्रदान करती है. गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोर्वधन पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की…..कहा जाता है कि जब श्री कृष्ण भगवान ने बृजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचान के लिए 7 दिनों तक गोर्वधन पर्वत से अपनी सबसे छोटी ऊंगली पर उठाकर रखा था. सातवें दिन भगवान ने पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोर्वधन पूजा करके अनपुट पर्व मनाने की अनुमति दी. तभी से यह उत्सव अनपुट के नाम से भी जाना जाने लगा…और उसी समय से हर वर्ष दिपावली के अगले दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है.