अगर आपसे पूछा जाए कि महाभारत में सबसे आकर्षक और मुख्य व्यक्तित्व किसका था? तो आपके मन में क्या विचार आएगा जी नहीं! वह कृष्ण नहीं थे। तो क्या आपको पता है महाभारत युग का विश्व का सबसे सुंदर पुरुष कौन था? उस युग के सबसे सुंदर पुरुष नकुल थे। नकुल नाम का अर्थ होता है जो प्रेम से परिपूर्ण हो प्रेम से भरा हुआ हो और इस नाम की नौ विशेषताएँ हैं… बुद्धिमत्ता, सकेन्द्रित, परिश्रमी, रूपवान, स्वास्थ्य, आकर्षकता, सफ़लता, आदर और शर्त रहित प्रेम। नकुल की सुंदरता के कारण नकुल की तुलना काम और प्रेम के देवता कामदेव से भी की जाती है। नकुल का जन्म ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए वरदान से हुआ। वह पांडु की दूसरी पत्नी, माद्री के पुत्र थे। नकुल को माँ माद्री से तीखे नयन नक्श मिले जो माद्र परंपरा के अनुरूप थे। मद्र युवतियां उस युग में सुंदरता की मूर्ति मानी जाती थीं अतः माता से उन्हें विश्वविश्रुत सौंदर्य और रूप विरासत में मिला। लेकिन आगे चलकर स्त्रियों में उनकी चाहना के स्तर को देखें तो वे किसी भी कन्या का ह्रदय जीतने में सफल नहीं रहे जबकि नकुल को कुरुवंश में सबसे सुंदर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था।
कुंती ने किया पालन पोषण
नकुल ने अपने पिता पांडु और सतश्रृंग आश्रम में शुक नामक एक साधु के अधीन तलवारबाजी और चाकू फेंकने की कला सीखी। नकुल तलवारबाज़ी और घुड़सवारी की कला में बहुत निपुण थे और दूर दूर विख्यात थे। बाद में अपने पिता की मृत्यु के बाद नकुल अपने भाइयों के साथ हस्तिनापुर चले गए जहाँ कुंती ने उनका आगे का पालन-पोषण किया। कुन्तीं ने उनके प्रेम में कोई कमी नहीं रक्खी। वह उन्हें अपने बाकी पुत्रों के सामान ही प्रेम करतीं थीं। बाद में द्रोणाचार्य के संरक्षण में नकुल ने तीरंदाजी और तलवारबाजी में और महारत हासिल कर ली। गुरु कृपाचार्य और गुरु द्रोणाचार्य ने नकुल को धर्म, विज्ञान, प्रशासन और सैन्य कला में प्रशिक्षित किया।
दो बार हुआ विवाह
नकुल का पहला विवाह द्रौपदी से अन्य भाइयों के साथ हुआ, और दूसरा विवाह शिशुपाल की पुत्री करेणुमति से हुआ। नकुल का दूसरा विवाह करेणुमती के पिता की राजनैतिक महत्वाकांक्षा के कारण हुआ । यहां रिश्तेदारियों को भी वर्तमान की परंपरा का ढिंढोरा पीटने वालों को बता दें कि पांडव व शिशुपाल मौसेरे भाई थे और करेणुमति नकुल की भतीजी लगती थीं लेकिन पुराने समय में राजनैतिक विवाहों में दूर के रक्त संबंधों को नजरअंदाज कर दिया जाता था। किसी कन्या का दिल जीतने के मामले में नकुल इतने फिसड्डी साबित हुये कि साधु स्वभाव के युधिष्ठिर भी कम से कम स्वयंवर में एक कन्या देविका का ह्रदय तो जीत ही लिये लेकिन नकुल इसमें असफल रहे। उनका द्रौपदी से एक बेटा शतानिक हुआ , जो कुरुक्षेत्र युद्ध में अश्वत्थामा के हाथों मारा गया था। करेणुमती से उनका एक पुत्र निरामित्र हुआ जो महाभारत के युद्ध में कर्ण के हाथों में मारा गया।
कई विद्या में पारंगत थे नकुल
कुशल सारथी एवं कुशल घुड़सवार: नकुल एक कुशल सारथी थे, साथ ही साथ नकुल को घोड़ों के प्रजनन और प्रशिक्षण की गहरी समझ थी। वह घोड़ों की सभी बीमारियों के इलाज की कला जानते थे। नकुल को घुड़सवारी में भी महारत हासिल थी।
तलवारबाजी: नकुल को तलवारबाजी में बहुत निपुण थे। वह एक बेहतरीन तलवारबाज़ थे अपनी तलवारबाजी से उन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध के 18 वें दिन कर्ण के तीन पुत्रों सुशेन , सत्यसेन और प्रसेन को मार गिराया था।
आयुर्वेद का ज्ञान: का जड़ी बूटियों और पौधों का विशेष ज्ञान था. उन्हें आयुर्वेद विशेषज्ञ माना जाता था।
स्वर्ग के रास्ते पे हुई मृत्यु
महाभारत के युद्ध के बाद पांडव सशरीर स्वर्ग जाना चाहते थे। स्वर्ग हिमालय के किसी क्षेत्र में जहाँ इंद्र तथा और देवताओं का राज था। पांडवों ने अपना सारा राजपाट परीक्षित को सौंप दिया। पांडवों के साथ स्वर्ग की यात्रा में द्रौपदी भी गयीं थी जब वह हिमालय की कठिन यात्रा कर रहे थे तब एक एक करके लोग नीचे गिरने लगे जिसमें सबसे पहले द्रौपदी फिर सहदेव और तीसरे नंबर पर नकुल गिर गए। सिर्फ़ युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा पाए थे।