आजम खान की परंपरागत सीट रामपुर शहर विधानसभा सीट पर कब्जा जमाना भाजपा के लिए चुनौती ही नहीं बेहद कठिन भी है। यहां सालों से सपा नेता मोहम्मद आजम खान का जलवा कायम है। ऐसे में बिना सेंधमारी के आजम का किला फतह करना भाजपा के लिए मुश्किल सा है। यही वजह है कि भाजपा रामपुर में कमल खिलाने की जुगत में अल्पसंख्यक मोर्चे के जरिए मुस्लिम मतदाताओं में पैठ बनाने की कोशिश में लग गई है।
रामपुर शहर विधानसभा सीट का जातिगत आंकड़ा जिले की दूसरी सीटों से बहुत बदला हुआ है। यहां 40 फीसदी हिन्दू मतदाता हैं जबकि 60 प्रतिशत मुस्लिम वोटर। यही कारण है कि आजादी के बाद से अब तक हुए सभी चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट पर मुसलमान ही विधायक बनते रहे हैं। भाजपा का कमल यहां कभी नहीं खिल सका है। इस सीट पर 1951 में कांग्रेस के फजल उल हक चुनाव जीते थे, उन्हें 1957 में निर्दलीय असलम खां ने पराजित किया था। वर्ष 1980 में आजम खां यहां से विधायक चुने गए। वह सिर्फ 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खां से पराजित हुए थे। यह उनकी परंपरागत सीट मानी जाती है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आजम ने इस सीट से इस्तीफा दिया और उप चुनाव में अपनी पत्नी तजीन फात्मा को विधायक बनवाया। वर्ष 2022 में वह सीतापुर की जेल में रहकर विस चुनाव लड़े और जीत दर्ज करायी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रहे आकाश सक्सेना को करीब 55 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। तब आकाश सक्सेना को 76084 वोट मिले थे। यह बात अलग है कि बीते माह भड़काऊ भाषण के मामले में उन्हें सजा हुई और विधायकी चली गई।
मुस्लिमों को साधने को 12 को बुलाया सम्मेलन
रामपुर में 12 नवंबर को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा मुस्लिम सम्मेलन कराने जा रहा है। इसमें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी शामिल होंगे। नकवी का रामपुर में अच्छा प्रभाव है। वह रामपुर से लोकसभा सदस्य भी रहे हैं। उनका आवास भी यहीं है और वोट भी यहीं डालते हैं। सभी वर्गों में उनकी मजबूत पकड़ है।