राम प्रकाश गुप्ता , 76 साल की उम्र में 12 नवंबर 1999 को यूपी के सीएम बनाए गए। कहीं जाते तो सेक्रेटरी उन्हें स्पीच याद दिलाते। लेकिन, मंच पर पहुंचते तो सब भूल जाते। वहां वही बोलते जो ज़ुबान पर आता। कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को पहचान नहीं पाते थे। पार्टी के नेताओं को खुश रखने के लिए वह हर बात मान लेते थे। वह जिसे कहते, सीएम उनका ट्रांसफर कर देते थे। आज यूपी के सबसे बुजुर्ग सीएम बनाए गए राम प्रकाश गुप्ता की जयंती है। और उनकी ज़िन्दगी से जुड़े ऐसे ही कई रोचक कहानियां हैं , जिसे हम आपको आज की वीडियो में बताएँगे , तो आइए शुरू से जानते हैं।25 जून 1975 को उस वक्त की पीएम इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी । और इसे देख जनसंघ के नेताओं ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया ।और फिर सारे बड़े नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। राम प्रकाश गुप्ता भी इसमें शामिल थे। और पहली बार वहां उनकी मुलाकात राजनाथ सिंह से हुई।
जेल में राजनाथ सिंह का हाथ देखकर भविष्यवाणी कर दी
1976 में जेल के अंदर एक दिन राम प्रकाश गुप्ता बाकी युवा कैदियों के साथ बैठे थे। और वही पास में बैठे 25 साल के राजनाथ सिंह को उन्होंने अपने पास बुलाया। और कहा, “दाहिना हाथ आगे बढ़ाओ।” राजनाथ ने हाथ आगे बढ़ा दिया। ज्योतिष परिवार से आने वाले राम प्रकाश ने हाथों की लकीरों को ध्यान से देखा , फिर कहा, “एक दिन तुम यूपी के बहुत बड़े नेता बनोगे।” इसपर बाकी साथियों ने पूछा, “कितना बड़ा नेता?” राम प्रकाश गुप्ता ने जवाब दिया, “यूपी के सीएम से भी बड़ा।”
और ठीक इस भविष्यवाणी के 24 साल बाद , 28 अक्टूबर 2000 को राम प्रकाश गुप्ता की भविष्यवाणी सच हो गई। राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने। अजब बात ये रही कि राजनाथ सिंह , राम प्रकाश को हटाकर ही इस पद पर पहुंचे।
आइए अब राम प्रकाश गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने और उनके कार्यकाल की कहानी जानते हैं।
क्या आप जानते है , दो घंटे तक पुलिस राम प्रकाश गुप्ता का घर खोजती रही थी ? चलिए इसके पीछे की वजह बताते है। 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी से 57 सीटें मिली। 1999 में मात्र 29 सीट मिली । ऐसा इसलिए क्योंकि सीएम कल्याण सिंह ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत के बिगुल फूंक दिए। इसके बावजूद 10 अक्टूबर 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने। और एक महीने बाद 12 नवंबर को कल्याण सिंह की छुट्टी कर दी गई। सीएम पद के लिए नए नाम को लेकर बैठक शुरू हो गई।
वाजपेयी चाहते थे राजनाथ सिंह ही सीएम बनें।तो वहीं मुरली मनोहर जोशी किसी ब्राह्मण को सीएम बनाना चाहते थे। कल्याण सिंह के लिए झंडा बुलंद करने वाले लालजी टंडन और कलराज मिश्रा भी दावेदार थे। लेकिन, सबका नाम खारिज कर दिया गया और मुहर लगी राजनीति से रिटायर हो चुके 76 साल के राम प्रकाश गुप्ता के नाम पर। गुप्ता को दिल्ली बुलाने का फरमान जारी हुआ। लेकिन, किसी को ये पता ही नहीं था कि वह लखनऊ में रहते कहां थे।
इसके बाद लखनऊ पुलिस 2 घंटे तक लखनऊ में उनका घर खोजती रही। तब जाकर उनका दो कमरों का घर मिला। अगले दिन जब राम प्रकाश गुप्ता दिल्ली पहुंचे तो किसी पत्रकार ने पहचाना ही नहीं। बीजेपी अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे ने देखा तो उनके पास पहुंचे और ऐलान किया कि ये राम प्रकाश गुप्ता हैं, यूपी के नए मुख्यमंत्री। इस तरह करीब 10 साल से सक्रिय राजनीति से दूर रहे राम प्रकाश 12 नवबंर को मुख्यमंत्री बना दिए गए।
अब आपको बताते है कि उनकी छवि एक भुलक्कड़ सीएम के रूप में कैसे बनी ?
राम प्रकाश गुप्ता को उनके सेक्रेटरी स्पीच लिखकर देते थे। याद भी करवाते थे, लेकिन सीएम जैसे ही मंच पर जाते वह वही बोलते जो उनकी जुबान पर आता था। धीरे-धीरे उनकी छवि भुलक्कड़ सीएम के रूप में स्थापित हो गई। मायावती ने तो एक बार यह भी कह दिया, “बेचारे गुप्ता जी, वो हमेशा भूल जाते हैं कि उन्हें कहना क्या है, पार्टी ने अयोध्या पर नहीं बोलने को कहा है लेकिन वह साफ-साफ बोल जाते हैं।”
जब राम प्रकाश गुप्ता सीएम पद से हटाए गए तो उनके घर की बिजली काट दी गई…
दरअसल , राम प्रकाश गुप्ता जैसे तैसे 351 दिन तक सीएम बने रहे। 28 अक्टूबर 2000 को उन्हें सीएम पद से हटा दिया गया। उनके स्थान पर राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बने। इस तरह से राम प्रकाश गुप्ता की 24 साल पहले वाली भविष्यवाणी सच हो गई। लेकिन खुद को हटाकर राजनाथ इस पद पर पहुंचेंगे इसका अंदेशा राम प्रकाश को तो नहीं ही रहा होगा। 2002 में राम प्रकाश के साथ एक अजीब घटना घटी। लखनऊ के इनके पार्क रोड घर की बिजली काट दी गई। वजह बताई गई कि बिजली का बिल नहीं जमा किया गया था। यूपी के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी मुख्यमंत्री के घर की बिजली बिल नहीं जमा कर पाने की वजह से बिजली काटी गई थी।
फिलहाल…राम प्रकाश गुप्ता अब इस दुनिया में नहीं हैं। 1 मई 2004 को उनका देहांत हो गया था । जिस वक्त उनका निधन हुआ उस वक्त वह मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे।