पूरी रिपोर्ट : क्या सच में देश को गुमराह कर रही है जीजा साली गैंग

    जानें क्या है पूरा मामला

    जनवरी से शुरू हुआ Wrestlers Protest का मुद्दा एक बार फिर इन दिनों हर समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों की सुर्ख़ियों में बना हुआ है. जहाँ बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मालिक समेत करीबन 30 पहलवानों ने WFI चीफ बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण, क्षेत्रवाद जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए, WFI के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की मांग की है वहीँ इसके विलग WFI चीफ ने इसे सियासी चाल बताते हुए इन सभी आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर उलट पहलवानों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इन पहलवानों को असली परेशानी हाल ही में किए गए नियमों के बदलाव के कारण है, ये पहलवान किसी भी तरह के नेशनल गेम्स को नहीं खेलना चाहते हैं, ये चाहते हैं की फेडरेशन इन्हें सीधे ओलंपिक में खेलने का मौका दे।

     

    यहां से शुरू होता है  Wrestlers Protest

    जनवरी 18, दिल्ली के जंतर मंतर से एक खबर सुर्ख़ियों में आती है जिसने देश के हर व्यक्तित्व को अपनी और रिझाया। जंतर मंतर से आई इस खबर में बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मालिक समेत करीबन 30 पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कोच पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न, अभद्रता, क्षेत्रवाद जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए सभी को दांग किया। हालाँकि मामले को गंभीरता से देखते हुए खेल मंत्रालय इस मामले में दस्तक दी और आरोपों की जांच के लिए के कमेटी के गठन का आदेश दिया। जिसके बाद पहलवानों ने अपने धरने को ख़त्म कर दिया।

    पर अब तीन महीने बाद पहलवानों ने एक बार फिर से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर 1000 महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जंतर मंतर पर धरना देना शुरू कर दिया है. यही नहीं इन महिला पहलवानों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में लगाई गयी गुहार पर कार्यवाही करते हुए बीते शुक्रवार को दिल्ली पुलिस द्वारा भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर FIR दर्ज कर ली गयी है. लेकिन पिछले प्रदर्शन से विलग इस प्रदर्शन में इन पहलवानों द्वारा धरने के इस मंच पर सियासी पार्टियों को भी एंट्री दे दी गयी है, जिसके बाद से ही पहलवान बनाम WFI अध्यक्ष के इस मामले को अब विपक्षी पार्टियों द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव प्रचार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जो पहलवान कल तक उत्पीड़न का आरोप लगा रहे थे वो अब इस मंच पर सियासी रोटियां तोड़ते देखे जा रहे हैं. यही नहीं इस मंच से हाल ही में “मोदी तेरी कबर खुदेगी, आज नहीं तो कल खुदेगी” जैसे अभद्र नारे सुनाई दिए हैं.

     

    जिसके बाद से ही यह स्पष्ट हो गया की किस तरह से पहलवान बनाम अध्यक्ष के इस मामले को अब सिर्फ विपक्षी पार्टी के प्रचार प्रसार के मंच के रूप में देखा जा रहा है जहाँ हर पार्टी आकर सिर्फ अपनी सियासी रोटियां सेक रही है, साथ ही हर भारतीय के जहन में सवाल खड़ा करती यही क्या सच में जीजा साली और टुकड़े टुकड़े गैंग की इस मिली भगत से ऐसे ही देश के किसी सम्मानित पदाधिकारी पर निराधार आरोप लगाकर उसे प्रताड़ित किया जाएगा।

     

    बृजभूषण सिंह VS दीपेंद्र सिहं हुड्डा?

    अब भले ही ये मामला सीधे तौर पर सियासत से न जड़ुा हो लेकिन कुश्ती संघ को करीब से जानने वालों को पता है कि एक जमाने में हरियाणा का संघ पर वर्चस्र्चव रहा है। भारत की पहलवानी/कुश्ती की लेगेसी को चंद  राज्यों के बाद चदं जाति यों फिर चदं परिवारों में समेटने की कोशिश की जा चुकी है और बृजभूषण सिंह ने अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के बाद इसी कुंठित प्रयास को चकनाचरू कर दिया है। बृजभूषण सिंह के खिलाफ उठ रही आवाजों में नि:संदेह ही ज्यादातर ऐसी आवाजें हैं जो कुश्ती को अपनी जागीर बनाने देश के अन्य राज्यों को इससे वचिंत रखने में यकीन रखती है। तो कहानी शरूु होती है वर्ष 2011 से, जब भारतीय कुश्ती संघ का चुनाव जीत जम्म-ूकश्मीर के दुष्यंत शर्मा इसके अध्यक्ष बनते हैं। लेकिन हरियाणा कुश्ती संघ को यह बात हजम नहीं होती और वह इसे दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे देते हैं जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर फिर से चुनाव होता है।

     

    तब दीपेंद्र हुड्डा भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनना चाह रहे थे। लेकिन इस बीच तत्कालीन समाजवादी पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने भी चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इस समय समाजवादी पार्टी के समर्थन से कांग्रेस सत्ता में थी, ऐसे में बृजभूषण के आग्रह पर मुलायम सिहं ने अहमद पटेल से कहलवाकर दीपेंद्र हुड्डा  को अपना नाम वापस लेने को कह दिया। भारी मन से हुड्डा ने अपना नाम वापस ले लिया और 2012 में बृजभूषण शरण सिंह अध्यक्ष बने। बृजभूषण शरण सिंह लगातार तीन बार WFI के अध्यक्ष का चुनाव जीत चुके हैं. भारतीय कुश्ती संघ के इतिहास में बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल  सबसे सफलतम रहा है क्योंकि इनके कार्यकाल के दौरान ही भारतीय पहलवानों ने सबसे अधिक पदक जीते।

     

    हरियाणा बनाम उत्तर प्रदेश

    भारतीय पहलवान के सेलेक्शन में खींच-तान नया नहीं है। ऐसा ही एक वाकया है, जब सुशील कुमार और नरसिंह यादव के चयन को लेकर विवाद हो गया। यह मुद्दा भी हरियाणा बनाम उत्तर प्रदेश बन गया था। उत्तर प्रदेश के युवा पहलवान नरसिंह यादव और हरियाणा की शान “मेडल लाने वाले बेटे” सुशील कुमार का मुद्दा तो अपने आप में केस स्टडी है। हरियाणा/दिल्ली में गुंडई करने वाले हत्यारे सुशील कुमार ने अपनी जिंदगी बरबाद करने से पहले नरसिंह यादव के खाने में प्रतिबधिंत पदार्थ मिलाकर उनका कैरियर तबाह किया था। तब भी विनेश फोगट या उनके किसी भी साथी खिलाड़ियों ने नरसिंह यादव का साथ न देकर क्षेत्रवाद करते सुशील कुमार को मौन समर्थन था.

    शुरू से ही बग़ावती रही हैं Wrestlers Protest की अगुआ Vinesh Phogat

    बृजभूषण सिंह के खिलाफ उठ रही आवाजों में नि:संदेह ही ज्यादातर ऐसी आवाजें हैं जो कुश्ती को अपनी जागीर बनाने व देश के अन्य राज्यों को इससे वंचित रखने में यकीन रखती है और कई बस ये जान कर भीड़ का हिस्सा बनने दौड़ पड़े हैं क्योंकि उक्त व्यक्ति भाजपा से जुड़ा हुआ है, यही नहीं आपको बात दें की ये पहली बार नहीं जब महिला पहलवान Vinesh Phogat के बगावती तेवर को देखा जा रहा है इससे पहले भी इतिहास में कई ऐसी घटनाएं दर्ज हैं जो इनके बागवती तेवर की साक्षी हैं. इन्हीं घटानों में से एक है 2021 ओलिंपिक की वो घटना जब विनेश फोगाट ने राष्ट्रीय कोच को छोड़ अपना व्यक्तिगत विदेशी कोच रखा, अन्य भारतीय खिलाड़ियों के साथ खेल गांव में ना रह कर अलग जगह रुकने की जिद्द की और हद तो तब हो गयी जब Vinesh Phogat ने भारतीय स्पॉन्सर कंपनी की जर्सी छोड़ नाइकी की जर्सी को पहनकर मैच खेलना उचित समझा।

    जिसके बाद Vinesh Phogat की इतनी अनुशासनहीनता के बदले WFI ने विनेश को अस्थाई रूप से निलंबित करने के बाद अगली गलती पर लाइफ टाइम बैन की चेतावनी दे कर निलंबन मुक्त किया था।

    यही नहीं बल्कि पूर्व में विनेश ने अपने इंटरव्यू में खुद कहा था कि उनके साथ कभी कोई ऐसी बदसलूकी नहीं और आज अचानक से ऐसा बयान वाकई चौकाने वाला है

    जब बृजभूषण शरण सिंह से शादी समारोह में Sakshi Malik ने लिया था आशीर्वाद 

    यही नहीं आपको बता दें की इन दिनों सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर एक और तस्वीर जमकर शेयर की जा रही है जिसमे महिला पहलवान भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह से आशीर्वाद लेते देखी जा रहीं हैं अब ऐसे में एक और प्रश्न खड़ा होता है कि एक महिला उस व्यक्ति को अपने शादी में क्यों आमंत्रित करेगी जिसने उसके साथ दुष्कर्म किया हो?

    इस महिला पहलवान ने जनता के सामने रखा सच 

    एक तरफ यौन उत्पीड़न का आरोप तो दूसरी तरफ कई खिलाड़ियों का बृजभूषण सिंह को समर्थन भी मिला है। जहाँ एक तरफ कुछ दिन पहले ही पीटी ऊषा ने भी धरने पर बैठे खिलाड़ियों की आलोचना की थी वही अब इस कड़ी में एक और नाम जो जुड़ चुका है जो है फ्री स्टाइल महिला पहलवान दिव्या काकरान का. दरअसल दिव्या काकरान ने बृजभूषण सिंह पर लगे आरोपों को ग़लत बताते हुए उनका समर्थन किया है.

    जहां एक तरफ बृजभूषण सिंह के ऊपर बेबुनियाद आरोप लग रहे वही राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी उनके समर्थन में उतर रहे जिसका वीडियो आप नीचे देख सकते है।

    ऐसे में सवाल उठता है की अगर बृजभूषण सिंह ग़लत साबित हुए तो उनकी सदस्यता को रद्द कर आवश्यक ही करवाई की जानी चाहिए लेकिन अगर यौन उत्पीड़न का आरोप ग़लत साबित हो तो क्या उन खिलाड़ियों के मेडल वापस लेकर उनपर आजीवन प्रतिबधं लगा देना चाहिए?