केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि नोटबंदी करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता।
प्रोसेस में भी गड़बड़ी नहीं
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि नोटबंदी करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश के नाम संदेश में रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। उस समय सरकार को उम्मीद थी कि नोटबंदी से कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। हालांकि, पूरी कवायद में 1.3 लाख करोड़ रुपए का काला धन ही सामने आया। सरकार के इसी फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस कानून के तहत 1000 और 500 रुपए के नोट बंद किए गए थे। कोर्ट ने इस मामले में सरकार और RBI से जवाब तलब किया था। केंद्र सरकार ने पिछले साल 9 नवंबर को दाखिल हलफनामे में कहा था कि 500 और 1000 के नोटों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। इसीलिए फरवरी से लेकर नवंबर तक RBI से विचार-विमर्श के बाद 8 नवंबर को इन नोटों को चलन से बाहर करने यानी नोटबंदी का फैसला लिया गया था।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने नोटबंदी के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह जाली करंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की प्लानिंग का हिस्सा और असरदार तरीका था। यह इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ी सीरीज का सबसे बड़ा कदम था। केंद्र ने यह भी कहा था कि नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की सिफारिश पर ही लिया गया था।
वहीं केंद्र ने अपने जवाब में यह भी कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए हैं। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन हुआ, यानी एक महीने में 12 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रिकॉर्ड किया गया है जो 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन, यानी करीब 6,952 करोड़ रुपए था।