जल स्तम्भ अनावरण के बाद संघ प्रमुख भागवत ने कहा, हमें संघ के बारे में अच्छा सुनने की आदत नहीं

    श्री महाकालेश्वर की नगरी में 27 से 29 दिसंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत ने श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन किए।

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    हमें संघ के बारे में अच्छा सुनने की आदत नहीं रही

    श्री महाकालेश्वर की नगरी में 27 से 29 दिसंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत ने श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन किए। श्री महाकालेश्वर मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने महाकाल मंदिर पहुंचकर गर्भ ग्रह में भगवान महाकाल का पंचामृत पूजन अभिषेक किया। दर्शन पूजन के पश्चात भागवत ने श्री महाकालेश्वर मंदिर के आंगन में स्थापित वेद ऋचाओं से युक्त देश का पहला जल स्तंभ का अनावरण किया। देश-विदेश में इस जल स्तंभ से जल बचाने का संदेश जाएगा। महाकाल मंदिर के आंगन में स्थापित 13 फीट ऊंचे इस स्तंभ पर चारों वेदों की ऋचाओं को चांदी की कारीगरी से उकेरा गया है। जल स्तंभ के अनावरण के पहले मोहन भागवत ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम में मोहन भागवत का श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अभिनंदन पत्र भेंट कर सारस्वत सम्मान किया। मंदिर में 5 दिसंबर से सुजलाम जल महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत चतुर्वेद पारायण भी किया जा रहा है। जल स्तंभ का निर्माण 60 किलो चांदी से हुआ है।

    कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख डॉ भागवत को महर्षि दधीचि से तुलना और उनके लिए लिखा गया अभिनन्दन पत्र के वाचन के बाद भागवत ने कहा कि ये जो अभिनन्दन पत्र और महर्षि दधीचि जैसे से तुलना अब जुड़ गई है। में ये जानता हु ,में उसके लिए कुछ नहीं कर सकता और आप भी कुछ नहीं कर सकते , वास्तव में दधीचि जैसी तपस्या करने वाले बहुत लोग पीछे है, कुछ आज है कुछ कल होने वाले है। जिनमे मेरा नंबर नहीं है। इसीलिए उन्होंने मुझे यहाँ रखा है। ये सब उन्ही का पुण्य प्रताप है जो की संघ के बारे में हमें अच्छे अच्छे शब्द सुनने को मिल रहे है। नहीं तो हमें संघ के बारे में अच्छा सुनने की आदत नहीं रही।