डिजिटल होती दुनिया ने जहाँ जीवन को आसान बनाया है. वहीं इसने अपराध के लिए दरवाजा भी खोला है। भारत डिजिटल अपराधों का बड़ा केंद्र बन रहा है और रोज हजारों लोग इसके कारण ठगी, ब्लैकमेलिंग आदि का शिकार बन रहे है । आपको जानकर हैरानी होगी भारत में हर महीने करीब 3 लाख साइबर क्राइम होते है. किसी का मोबाइल हैक कर लिया जाता है तो किसी का लैपटॉप और फिर शुरू होता ब्लैकमेलिंग का सिलसिला, लेकिन इस बार हैकर्स ने जिसे अपना शिकार बनाया है वह कोई आम इंसान या कोई छोटी संस्थान नहीं बल्कि भारत का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल AIIMS है.
इस खबर को सुनकर आपको भी एक बार के लिए अपने कानो पर यकीन नहीं होगा कि आखिर सबसे बड़े सराकारी अस्पताल के सर्वर को कैसे हैक किया जा सकता है। लेकिन पुख्ता सूत्रों के अनुसार, AIIMS के सवर्र को 6 दिन पहले हैक किया गया था जिसके बदले में हैकर्स ने 200 करोड़ की फिरौती भी मांगी है. आपको बता दें कि AIIMS पर 23 नवंबर को रैनसमवेयर अटैक हुआ जिसके बाद से ही पूरे अस्पताल की व्यवस्थाएं बुरी तरह से बाधित चल रही है।
AIIMS की OPD और IPD में आने वाले सभी मरीजों को इलाज कराने में काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।पूरे अस्पताल का सर्वर हैक होने की वजह से न तो ऑनलाइन अपॉइंटमेंटस लिए जा रहे हैं और न ही अस्पताल टेलीकंसल्टेशन जैसी डिजिटल सेवाएं दे पा रहा है। फिलहाल इन सभी सेवाओं को मैनुअल तरीके से चलाया जा रहा है। लेकिन 23 नवंबर को आखिर हुआ क्या था और कैसे हुई देश के सबसे बड़े अस्पताल के सर्वर की हैकिंग.
दरअसल 23 नवंबर को सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर खबर आती है कि AIIMS इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर से मरीजों की रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है और उसके तुरंत बाद यही समस्या पूरे सर्वर से आने लगती है. शिकायत के बाद जैसे ही NIC की टीम ने अपनी जांच शुरू की तो पता चलता है कि मेन सर्वर की सभी सारी फाइलें खुल नहीं पा रही हैं। इसके बाद NIC ने बैकअप सिस्टम के द्वारा फाइलस को restore करने की कोशिश कि तो उसमें भी नाकामयाबी हासिल हुई।साइबर अटैक की बात पुख्ता होते ही भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम से बात करके उनकी मदद ली जा रही है। इस पूरे मामले में 25 नवंबर को दिल्ली पुलिस द्वारा साइबर टेररिज्म और जबरन वसूली के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया हालांकि दिल्ली पुलिस 200 करोड़ की वसूली की मांग को पूरी तरह नकार रही है। उनका कहना है कि ऐसी कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई है न ही फिरौती की मांग सामने आई है.
मीडिया रिपोर्टस की माने तो हैकर्स द्वारा 200 करोड़ की फिरौती की रकम क्रीपटो करेंसी के रूप में मांगी गई है और ऐसा इसलिए क्योकि क्रीपटो करेंसी किसी भी गवर्नमेंट के द्वारा गर्वन करेंसी नहीं है। क्रीपटो किसी भी देश की आधिकारिक मुद्रा भी नहीं है. अगर हैकर्स को 200 करोड़ क्रीपटो करेंसी के रूप में दी जाएगी तो सरकार कभी पता नहीं लगा पाएगी कि यह पैसे किसने लिए और कहां से कैश कराएं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि AIIMS के पास 4 करोड़ से भी ज्यादा मरीजों का डाटा है जिसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी सहित कई अन्य पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी आदि शामिल हैं। अगर यह डाटा लीक होता है तो ये आंतरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी काफी ज्यादा घातक हो सकता है. देखा जाए तो यह पहला मौका नहीं है जब देश में इतने बड़े साइबर क्राइम को अंजाम दिया गया है इससे पहले भी साल 2018 में हरियाणा बिजली वितरण निगम के पंचकुला में मौजूद हैड ऑफिस के कंप्यूटर पर भी रैनसमवेयर अटैक हो चुका है जिसकी फिरौती में 1 करोड़ की मांग की गई थी. ये देखना अहम होगा कि इससे निपटने में AIIMS प्रशासन और संबंधित संस्थाओं को कितना समय लगेगा पर इतना जरूर है कि भारत की सबसे व्यस्त अस्पताल के साथ ऐसा होना हजारों भारतीयों के लिए जीवन मरण का विषय बन गया है.