गांव गड़वारा जो मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले का आदिवासी बहुत इलाका है, वहां देश का पहला सामुदायिक Radio सेंटर गांव वालों ने बनाया है।
गोंड भाषा में होते है Radio पर सभी कार्यक्रम, स्कूल के छात्र छात्राएं भी करती है मदद
झाबुआ जिले का गांव गडवाड़ा चार महीने पहले तक सुर्य की पहली किरण के साथ जागता था पर यहां अब लोगों के जगने का काम Radio को हाथ में उठा कर होता है। Radio पर सुबह सुबह शुरू हो जाने वाले कार्यक्रम उन्हे रोमांच और खुशियों से भर देते हैं।
महान क्रान्तिकारी टंट्या भील मामा जो गरीबो के राबिनहुड भी कहे जाते थे उनके नाम से शुरू इस समुदायिक Radio केंद्र में स्थानीय भील और गोंड भाषा में कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।
गुनेस मरकाम ने चिचोली में शुरू किया Radio स्टेशन, बन गया स्थानीय स्टार
चिचोली गांव के रहने वाले गुनेस ने अपने कुछ दोस्तों के साथ ऐसे ही गोंड कम्यूनिटी Radio स्टेशन की शुरूआत की थी, जिसे बैतूल के बीस गांवो में प्रसारण मिल रहा है। गांवो वालो के लिए गुनेस किसी भी फिल्मी स्टार से कम नही है, क्योंकी उसने स्थानीय गोंड भाषा का मनोरंजन गांव के आदिवासियों तक पहुंचाया है।
आदिवासी गांवो को मिल रही सरकारी योजनाओं की तुरंत जानकारी
पहले भाषा संबंधित दिक्कतों के वजह से गांव वाले सरकारी योजनाओं का लाभ देर से ले पाते थे,पर इन स्थानीय रेडियो स्टेशनों ने सरकार की हर योजना के लाभ और लाभ उठाने के तरीको को स्थानीय आदिवासियों तक पहुंचाने का जिम्मा ले लिया है।जिसका बहुत लाभ गांव वालों को मिल रहा है। आदिवासी गांवो की किस्मत पलट रही है।
नौ Radio केंद्र पर आदिवासी सुनते हैं प्रधानमंत्री के मन की बात,अपने भाषा के कार्यक्रम और बालीवुड के गाने
बैगा, सहरिया, गोंड, भील, भारिया जैसे जनजातियों के अपने अपने नौ रेडियो केंद्र बना लिए हैं। जिनपे सरकार की योजनाओं को सुनने के साथ साथ वो अपना मनोरंजन भी करते हैं। सरकार समय समय फर आदिवासियों के लिए संदेश भी प्रसारित करवाती है। अभी हाल में ही शिवराज सरकार ने बैगा और उमरिया की आदिवासी महिलाओं से वर्चुअल संवाद किया था। आदिवासियों का आधुनिक युग के साथ कदम ताल चलाने की ये सबरे आह्लादित कर दे रही हैं।