अहमदाबाद की जेल में बंद माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने गुरुवार को बसपा की सदस्यता ग्रहण की। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद घनश्याम चंद्र खरवार ने उन्हें बसपा की सदस्यता दिलाई।
अलोपीबाग स्थित सरदार सेवा संस्थान में आयोजित बसपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवनी बसपा की सदस्यता ली। कार्यकर्ता सम्मेलन में बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सांसद घनश्याम चंद खरवार ने शाइस्ता को बसपा की सदस्यता दिलाई। शाइस्ता परवीन ने बताया कि वह सदस्यता लेने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती से मिलने लखनऊ जाएंगी।
बसपा बना रही नया समीकरण
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब निकाय चुनाव से एक अलग समीकरण तैयार करना चाहती है। बसपा निकाय चुनाव में दलित-मुस्लिम के समीकरण पर निशाना साध रही है। इसी क्रम में बसपा ने पहले सहारनपुर में इमरान मसूद की मत्नी को उम्मीदवार बनाया और अब अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता को महापौर का टिकट थमाकर मुस्लिम वोटबैंक पर निशाना साध रही है।
16 महीने में छूटा ओवैसी का साथ
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आल इंडिया मजलिसे इत्ताहेदुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने लखनऊ में पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसके बाद उनके शहर पश्चिमी से चुनाव लड़ने की भी हवा उड़ी तो पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार भी घोषित किया लेकिन शाइस्ता चुनाव के मैदान में नहीं कूदीं।
एक महीने पहले ही की थी घोषणा
शाइस्ता परवीन ने एक महीने पहले ही मायावती से मुलाकात करके महापौर का चुनाव लड़ने के एलान किया था। हालांकि उनकी मायावती से अबतक मुलाकात नहीं हो सकी हैं लेकिन उन्होंने बताया कि वह सदस्यता लेने के बाद मायावती से मिलने जाएंगी।
अतीक और शाइस्ता ने की थी योगी की तारीफ
बाहुबली अतीक अहमद 20 अक्तूबर को लखनऊ में एक मामले पर पेशी पर आए थे, जहां उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहादुर और ईमानदार सीएम हैं। इसके कुछ दिनों के बाद ही अतीक की पत्नी शाइस्ता ने भी प्रयागराज में प्रेसवार्ता कर के योगी की तारीफ की थी। इसी प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने महापौर पद पर चुनाव लड़ने की भी घोषणा की थी।
अतीक अहमद का राजनीतिक जीवन
अतीक अहमद ने वर्ष 1989 से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। पहली बार वह इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दल उम्मीदवार के रूप चुनाव में कूदे और पहली बार ही विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के गोपालदास को 8102 वोट से हराया। इसके बाद अतीक अहमद ने इसी सीट से 1991 और 1993 का चुनाव भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता। फिर वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और वर्ष 1996 में चौथी बार विधायक बनने की हैट्रिक लगाई।
वर्ष 1999 में अतीक अहमद सपा का साथ छोड़कर सोनलाल पटेल की पार्टी अपना दल में शामिल हुए और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़े और उसे हार का सामना करना पड़ा। 2002 में अपना दल ने अतीक को उनकी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से टिकट दिया। इस चुनाव में अतीक अहमद को फिर कामयबी मिली और वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे।
वर्ष 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो अतीक अहमद एक बार फिर सपा में शामिल हो गए और 2004 का लोकसभा चुनाव लड़ा। चुनाव में जीत के साथ ही वह पहली बार संसद की दहलीज तक पहुंचा। इसके बाद वर्ष अहमद ने समाजवादी पार्टी से वर्ष 2014 में श्रावस्ती से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।