जानें क्या है पूरा मामला
यूँ तो बिहार में जोड़-तोड़ की राजनीती नई नहीं है, मगर जब से बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार BJP के साथ गठबंधन तोड़ कर RJD के साथ गठबंधन में आये हैं | तब से JDU से इस्तीफा देने वाले नेताओं की कतार बढ़ती जा रही है, चाहे फिर वो JDU के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा का इस्तीफा हो, या JDU के वरिष्ठ नेता शम्भुनाथ सिन्हा का | इस्तीफे के सूचि में इजाफा करते हुए बीते बुधवार भोजपुर के 74 नेताओं ने प्रदेश में बढ़ते गुंडाराज को देखते हुए JDU से खुद को अलग कर लिया है | जिसके बाद कयास ये लगाए जा रहे हैं की वे उपेन्द्र कुशवाहा की नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल में शामिल होंगे, हालाँकि अभी उनमे से किसी ने इस बात का ऐलान नहीं किया है |
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JDU में लगातार इस्तीफे का कारण है जंगलराज ?
JDU छोड़ने वाले 74 नेताओं का पार्टी पर एक ही आरोप रहा की JDU के नेता अब ज़मीर बेच कर अमीर होने के चक्कर में पार्टी के मूल सिधान्तों से भटक गए हैं | बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से कुर्सी पर सबसे अधिक बैठने के बाद भी कुर्सी का मोह छुट नहीं रहा और अब वो पड़ोस में अपना उत्तराधिकारी ढूंड रहे हैं | जिस जंगलराज से बिहार को निकालने की नितीश कुमार ने सपथ ली थी अब वे पुनः बिहार को उसी जंगलराज की ओर धकेलने के लिए अग्रसर हैं |
JDU पार्टी जनहित के बजाय स्वार्थहित में चल रही ?
बुधवार को भोजपुर जिले के आरा शहर में प्रदेश कमिटी और जिला कमिटी के सकिर्य 74 कार्यकर्ताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर JDU को छोड़ने का ऐलान किया | जहाँ पिछड़े वर्ग के नेता जागा कुशवाहा नें बताया की 2005 में जब JDU बिहार में आई थी तो गरीब गुरबों की आवाज़ बनकर नितीश कुमार के अगवाई में पार्टी नें जनहित में अच्छे-अच्छे काम किये थे | मगर अब पार्टी केवल चापलूसों और स्वार्थहित नेताओं से भर गया गया | अब अगर वो अपने प्रदेश या जिले की कोई समस्या लेकर पार्टी के पास जाते हैं तो उनकी कोई नहीं सुनता, बिहार में जंगलराज पुनः वापस आ गया है |