जाने क्या है पूरा मामला
आपको बता दें JDU की केंद्रीय कमेटी ने अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए नागालैंड कमेटी को भंग कर दिया है। दरअसल केंद्रीय कमेटी की माने तो नागालैंड की JDU प्रदेश कमेटी ने बिना केंद्रीय नेतृत्व से सहमति लिए वहां की भाजपा गठबंधन वाली सरकार को समर्थन दे दिया है। जिसके बाद से ही राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी के निशाने पर थे और पूरे देश में उनकी खूब किरकिरी हो रही थी।
JDU ने भंग की नागालैंड स्टेट कमेटी
वहीं अगर बात बात करें नागालैंड के इस बार चुनावी नतीजों की तो आपको बता दें की JDU इस बार नागालैंड में सिर्फ एक सीट ही अपने नाम कर पाई थी और बिना केंद्र नेतृव के वो भी अब भाजपा में विलय हो गई। जिसके बाद ही नॉर्थ ईस्ट के प्रभारी अफाक अहमद खान ने पूरे JDU कमेटी को भंग कर दिया और नए सिरे से वहां कमेटी बनाई जान का ऐलान किया।
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JDU ने इस गठबंधन पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं दूसरी तरफ इस गठबंधन की सूचना प्राप्त होते ही JDU प्रवक्ता डॉ सुनील सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए बोले की भाजपा पूरे लोकतंत्र को तार तार करते हुए पूरे देश को विपक्ष विहीन करना चाहती है। और उन्होंने इस मॉडल की शुरुवात नागालैंड से शुरू कर दी है।
नागालैंड चुनाव
वहीं अगर बात करें इस बार के विधानसभा चुनाव की तो आपको बता दें इस बार बिहार राज्य की तीन पार्टियां नागालैंड के चुनाव में मैदान में थीं जिसमे से एलजेपी ने दो तो JDU ने एक सीट पर जीत हासिल की और आरजेडी खाता खोलने भी असमर्थ रही। साथ ही बीजेपी और एनडीपीपी गठबंधन को 37 सीटों पर जीत मिली है जिसके बाद नेफ्यू रियो ने 5वीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री रियो के साथ साथ तदितुई रंगकौ और यानथूंगो पैटन ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
दरअसल इस बार बीजेपी और एनडीपीपी गठबंधन ने 40 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की जिसमे बीजेपी के नाम 12 तो वहीं एनडीपीपी ने 25 सीटों को किया अपने नाम।