जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीर बताया। कोर्ट ने कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। याचिका पर अगली सुनवाई अब 7 फरवरी को होगी।
अगली सुनवाई 7 फरवरी को
जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीर बताया। कोर्ट ने कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। याचिका पर अगली सुनवाई अब 7 फरवरी को होगी।
सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई की। इसमें फर्जी धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है और नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर अतिक्रमण कर सकता है।
उन्होंने याचिका में दावा किया, “जबरन धर्मांतरण एक राष्ट्रव्यापी समस्या है, जिससे तत्काल निपटने की जरूरत है। नागरिकों को होने वाली चोट बहुत बड़ी है, क्योंकि एक भी जिला ऐसा नहीं है जो ‘हुक और बदमाश’ द्वारा धर्म परिवर्तन से मुक्त हो।”
मामले पर पिछली सुनवाई 12 दिसंबर को हुई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा है कि वो जनहित याचिका में अल्पसंख्यक धर्मों के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयानों को हटा दें। इसके साथ ही ये सुनिश्चित करें कि ऐसी टिप्पणी रिकॉर्ड में न आए।
वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अरविंद दातार ने कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि अगर यह अपमानजनक टिप्पणी है, तो उन्हें हटा दिया जाएगा। पीठ ने केंद्र सरकार के हलफनामे के इंतजार करने के लिए सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी। पीठ ने कि वो हस्तक्षेपकर्ताओं की अर्जी पर अगली सुनवाई में विचार करेंगे।