हरियाणा में जूनियर महिला एथलीट कोच के आरोपों से घिरे खेल मंत्री संदीप सिंह को आरोप के पहले ही दिन विभाग छोड़ने को कहा गया था। सरकार चाहती थी कि विपक्ष को हावी होने का मौका न दें। वहीं यह भी उदाहरण पेश करें कि आरोप के साथ ही मंत्री ने विभाग छोड़ दिया।
आरोप के 7वें दिन छोड़ा खेल विभाग
हरियाणा में जूनियर महिला एथलीट कोच के आरोपों से घिरे खेल मंत्री संदीप सिंह को आरोप के पहले ही दिन विभाग छोड़ने को कहा गया था। सरकार चाहती थी कि विपक्ष को हावी होने का मौका न दें। वहीं यह भी उदाहरण पेश करें कि आरोप के साथ ही मंत्री ने विभाग छोड़ दिया। हालांकि संदीप सिंह ने आरोप खारिज कर दिए। वह इसकी जांच कराने पर अड़ गए। उनके इनकार करने के बाद चंडीगढ़ में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। तब कोई बहाना नहीं बचा। मजबूरी बनी तो मंत्री ने चुपचाप CM मनोहर लाल के पास जाकर विभाग सौंप दिया।
हॉकी के मैदान में दमखम दिखाने वाले संदीप सिंह राजनीति के माहिर खिलाड़ी नहीं है। वह पहली बार चुनाव लड़े, जीते और मंत्री भी बन गए। हॉकी में उनकी उपलब्धियों को देख भाजपा ने उन्हें खेल मंत्रालय सौंप दिया। यही वजह है कि जब वह महिला कोच के आरोपों से घिरे तो कैबिनेट के साथियों का भी साथ नहीं मिल पाया। हरियाणा सरकार में वह एक खिलाड़ी की छवि से भी बाहर ही नहीं आ पाए। इतने संगीन आरोप के बाद सिर्फ CM के भरोसे उनका विभाग नहीं बच सका।
सरकार के वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार संदीप सिंह पहले से ही मनोहर कैबिनेट के नान- परफॉर्मर मंत्री कहे जा रहे थे। विभागों के विलय के बाद संदीप सिंह के पास से एक महकमा भी जा चुका है। इसके बाद संभावित कैबिनेट फेरबदल में भी उनकी कुर्सी जाने का खतरा बताया जा रहा था। ऐसे में अचानक वह महिला कोच के विवाद में घिर गए हैं। जिसके बाद अब उनके मामले में सरकार को कोई फैसला लेने में हिचक भी नहीं होगी।