जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध हुआ तेज़, आखिर क्या चाहती है सरकार?

    झारखंड में स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध बढ़ता जा रहा है। इस पर नए साल के पहले दिन मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली में जैन समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। समाज के लोग दिल्ली के प्रगति मैदान और इंडिया गेट पर इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारियों के एक डेलिगेशन ने इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भी दिया है।

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    दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे

    पिछले साल से नए साल में अगर कोई सबसे बड़ा मुद्दा जा रहा है तो वह है सम्मेद शिखर का मुद्दा। सम्मेद शिखर झारखण्ड राज्य में मौजूद है और जैन समाज का बड़ा तीर्थस्थल है। झारखण्ड सरकार ने इस पवित्र जैन तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है। समूचा जैन समाज इसका विरोध कर रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो झारखंड सरकार के सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ है। यह जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। इससे तीर्थ को नुकसान होगा। प्रदर्शनकारी झारखंड सरकार से फैसला बदलने की मांग कर रहे हैं। इस मसले को लेकर जैन समुदाय के लोग 26 दिसंबर से देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं, 1 जनवरी को यह प्रदर्शन तेज़ हो गए।विरोध की वजह साफ़ समझ में आती है। तीर्थस्थल के सौ- दो सौ मीटर के दायरे में ही शराब और मांस बिक रहा है। ज़ाहिर है तीर्थस्थल की पवित्रता पर आँच तो आती ही है। जब इस तीर्थस्थल को मानने वाले, इसमें श्रद्धा रखने वाले लोग ही सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे हैं तो सरकार इसे पर्यटन स्थल बनाने पर क्यों तुली हुई है?

    जैन समाज के इस प्रदर्शन पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी समर्थन करते हुए लिखा कि हम जैन समुदाय के लोगों का समर्थन करते हैं। झारखंड सरकार को यह फैसला रद्द करना चाहिए। उन्होंने गुजरात के सीएम से अपील की है कि जैन मंदिर में तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इससे पहले विश्व हिंदू परिषद ने भी जैन समुदाय के लोगों का समर्थन किया था। VHP ने कहा कि सम्मेद शिखर एक तीर्थ स्थल है। उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं किया जाना चाहिए।

    सवाल ये भी उठता है कि क्या राज्य सरकार ने ऐसा निर्णय लेने से पहले जैन समाज से पूछा? या ऐसा कोई सर्वे करवाया जिसमें आया हो की 90, 95 प्रतिशत जैनों ने कहा हो कि हाँ, बना दीजिए सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल। हमें कोई आपत्ति नहीं हैं। दरअसल, सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। क्यों? किसी को नहीं पता।

    दरसअल सम्मेद शिखर के आसपास के इलाके में मांस-मदिरा की खरीदी-बिक्री और सेवन प्रतिबंधित है। कुछ दिन पहले शराब पीते युवक का वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद विवाद शुरू हुआ। धर्मस्थल से जुड़े लोगों का मानना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद से जैन धर्म का पालन नहीं करने वाले लोगों की भीड़ यहां बढ़ी। यहां मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोग आने लगे। 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया।

    आपको बता दें कि झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां पर 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं। जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए नौ किलोमीटर की यात्रा तय कर शिखर पर पहुंचते हैं।