मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी बात रखी। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई और प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित
मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी बात रखी। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई और प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, कमलनाथ सरकार में 165 दिन में 450 आईएएस और आईपीएस के ट्रांसफर किए। 15 हजार से ज्यादा तबादले किए गए। वल्लभ भवन दलालों का अड्डा बन गया था। सीएम के ओएसडी का जो वीडियो वायरल हुआ, उसके कारण भ्रष्टाचार की विष बेल ऐसी फैली कि पूरे मध्यप्रदेश में त्राहि-त्राहि मच गई।
अगर पूछ रहे तो मैं बताना चाहता हूं कि एक नहीं, कई मामले हैं। सिंचाई परियोजना में घोटाला किया गया। विधायकों को मिलने के लिए समय नहीं दिया जाता था। विधायकों से कहते थे चलो-चलो…। कोई बड़ा ठेकेदार आ जाए, तो उसे बैठाते थे। सीएम के भाषण पर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया। विपक्ष के हंगामे पर स्पीकर गिरीश गौतम ने कहा, आप अविश्वास प्रस्ताव लाए, आरोप लगाए, अब सीएम को सुन तो लीजिए। स्पीकर ने कांग्रेस के सीनियर लीडर सज्जन सिंह वर्मा से कहा कि विपक्ष के विधायकों को नियंत्रित करें। सदन के नेता को बोलने का मौका दें।
सीएम ने कहा, यदि कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए कार्य किया होता, तो उनकी ही सरकार के मंत्री उन्हें छोड़कर हमारे साथ न आते। हमारे पास आए साथियों का फैसला सही था और जनता ने उन्हें उपचुनाव में भारी बहुमत से फिर से निर्वाचित किया।