मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। सीधे, सरल और सहज दिखने वाले मुख्यमंत्री इन दिनों सख्त रुख अपनाए हुए हैं। बिना प्रोग्राम अचानक किसी भी जिले के किसी गांव में अचानक इंस्पेक्शन करने पहुंच रहे हैं। खामियां मिलने पर कभी मंच से तो कभी फील्ड इंस्पेक्शन के दौरान सीधे जिम्मेदारों पर एक्शन ले रहे हैं।
बदला स्पीच का अंदाज
मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। सीधे, सरल और सहज दिखने वाले मुख्यमंत्री इन दिनों सख्त रुख अपनाए हुए हैं। बिना प्रोग्राम अचानक किसी भी जिले के किसी गांव में अचानक इंस्पेक्शन करने पहुंच रहे हैं। खामियां मिलने पर कभी मंच से तो कभी फील्ड इंस्पेक्शन के दौरान सीधे जिम्मेदारों पर एक्शन ले रहे हैं। सीएम के भाषण का अंदाज भी बदल गया है। मंच पर अब वह एक जगह ठहर कर नहीं, किसी मैनेजमेंट गुरु की तरह स्पीच दे रहे हैं।
CM शिवराज ने बताया कि दो साल कोविड में निकल गए, तो ज्यादा जा नहीं पाए। अब मैदान में जाकर देख रहे हैं। बेहतर काम हो रहा है, उसके लिए पुरस्कृत कर रहे हैं। गड़बड़ अगर होती है, तो कार्रवाई होती है, अब ये भी तो जरूरी है।
पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से प्रदेश में मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान में सरकारी योजनाओं से छूटे हुए पात्र हितग्राहियों को खोज-खोजकर जोड़ने का अभियान चलाया गया। इसी अभियान के दौरान सीएम के भाषण देने का अंदाज बदल गया। आमतौर पर मंच पर एक जगह खड़े होकर भाषण देने वाले सीएम ने शहडोल जिले के कोटमा गांव में जब मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान के कार्यक्रम में शिरकत की, तो यहां भाषण देने के बजाए सीएम ने योजनाओं को लेकर पब्लिक से फीडबैक लेना शुरू कर दिया। ग्रामीण जिन योजनाओं की शिकायत करते सीएम उस योजना के जिम्मेदार अफसरों से सीधे सवाल पूछ लेते। यहीं से सीएम ने कार्यक्रमों के दौरान लंबा चौड़ा भाषण देने के बजाए टू वे कम्युनिकेशन शुरू कर दिया।