नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी गई है। इस मिशन के तहत सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहती है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट मीटिंग में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी की गई है।
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भविष्य के ईधन में आत्मनिर्भर बनना चाहता है भारत
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी गई है। इस मिशन के तहत सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहती है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट मीटिंग में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी की गई है।
इस योजना के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कंपनियों को इंसेंटिव दिए जाएंगे। इंसेंटिब पर 17,490 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त 2021 में किया था।
अनुराग ठाकुर ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन हब्स का विकास किया जाएगा। इससे ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादक और उप्भोक्ता को एक ही जगह पर लाया जाएगा। ताकि ट्रांसपोर्टशन भी न बढ़े और जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी एक जगह उपलब्ध कराया जा सके। 2047 तक देश को एनर्जी इंडिपेंडेंट बनाने का लक्ष्य हम प्राप्त करे इसके लिए ये बहुत जरूरी कदम है।
ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने की बात इसलिए हो रही है क्योंकि यह भविष्य का प्रमुख ईंधन माना जा रहा है। इसके तहत भारत ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे ईंधनों में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। पेट्रोलियम की तरह भारत इन ईंधनों के लिए दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता है।