खुद सजा की मांग कर रहे CM सोरेन, फिर भी क्यों EC की चिट्ठी नहीं खोल रहे राज्यपाल?

    चुनाव आयोग द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर चिट्ठी महीनों पहले भेजी गई है, लेकिन झारखंड के राज्यपाल उसे सार्वजनिक करने से बचते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. हेमंत सोरेन के खिलाफ निर्वाचन आयोग ने सीलबंद लिफाफे में राज्यपाल के पास ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में रिपोर्ट भेजी थी. लेकिन राज्यपाल इस पर कोई फैसला लेने से अभी तक बचते दिखाई पड़ रहे हैं. दरअसल बीजेपी, जेएमएम को कैसे डील करें इसको लेकर असमंजस में रही है. झारखंड के राज्यपाल खुद कह चुके हैं कि सीलबंद लिफाफे को खोलना मुश्किल हो रहा है. मतलब साफ है कि बीजेपी हेमंत सोरेन की सदस्यता खत्म कर उन्हें चुनाव लड़ने दोबारा भेजना नहीं चाहती है.

     

     

     

    दरअसल बीजेपी को इल्म हो चुका है कि राजनीतिक रूप से जेएमएम फायदे में रहेगी और बीजेपी इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दी जाएगी. बीजेपी के अंदर ऐसी सोच है कि हेमंत सोरेन की सदस्यता खत्म की गई, तो दोबारा हेमंत सोरने बेरहट से चुनावी बाजी जीतने में कामयाब रहेंगे और जनता के बीच आरोप लगाने में कामयाब रहेंगे कि बीजेपी हेमंत सोरने को फंसाकर सरकार गिराने का प्रयास कर रही है. इसलिए बीजेपी का थिंक टैंक हेमंत सोरेन को नई रणनीति के तहत कनफ्यूज्ड और ऊहापोह की स्थिति में रखना चाहता है. हेमंत सोरेन पर लगे आरोपों के बाद प्रदेश में अस्थिरता का माहौल है और इसके लिए हेमंत सोरेन बीजेपी द्वारा जिम्मेदार ठहराए जा रहे हैं.

    लोकसभा चुनाव में झारखंड बीजेपी 14 में से 13 सीटों पर चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त है. बीजेपी मानती है कि हेमंत सोरेन सरकार की अस्थिरता की वजह से पूरे प्रदेश में अराजक स्थिती पैदा होने लगी है और विकास का काम ठप होने की वजह से माहौल हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ पूरे राज्य में बन चुका है.

    राज्य में अस्थिरता का माहौल क्यों बना हुआ है?

    राज्य मे अस्थिरता का माहौल इस कदर चरम पर है कि ठेकेदार से लेकर अफसर तक प्रदेश में अराजक और अस्थिर माहौल को देखते हुए अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हैं. जेएमएम भी वोटों को साधने के लिए क्रिस्चन कार्ड, पुराने पेंशन को बहाल करने जैसे ताबड़तोड़ फैसले ले रही है. सीएम हेमंत सोरेन पहले ही कह चुके हैं कि अगर वो गुनहगार हैं तो इतने दिनों तक सजा क्यों नहीं सुनाई जा रही है और वो इस पद पर किस हैसियत से बैठे हैं. सोरेन पहले ऐसे सीएम हैं जो राज्यपाल और चुनाव आयोग से आग्रह कर खुद को सजा दिए जाने की मांग कर चुके हैं. ज़ाहिर है सीएम के खिलाफ पत्ते न खोलकर बीजेपी लगातार सीएम हेमंत सोरेन को सकते में डाले हुई है.