विश्व की आबादी 8 अरब , भारत खुश पर चीन क्यों परेशान ?

    दुनिया की आबादी 15 नवंबर को 8 बिलियन यानी 8 सौ करोड़ हो गई। संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ वैश्विक जनसंख्या की आठ बिलियन की आबादी में भारत ने 177 million के साथ सबसे ज्यादा योगदान दिया हैं। वही दुसरे नंबर पर 73 million के साथ चीन का योगदान रहा। UN की इस गणना के मुताबिक़ 2023 में भारत के नाम एक और उपलब्धि शामिल हो जाएगी और चीन को पीछे छोड़ते हुए देश दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भारत बन जायेगा।

    इस साल जुलाई में जारी world population prospects 2022 में यह कहा गया था कि चीन की 1.426 बिलियन की तुलना में भारत की जनसंख्या 2022 में 1.412 बिलियन हो गई है। इस रिर्पोट से ये जानकारी भी सामने आई है कि 2030 तक वैश्विक आबादी करीब 8.5 बिलियन हो जाएगी। UN ने 2050तक दुनिया की जनसंख्या 9.7 बिलियन और सन 2100तक 10.4 बिलियन होने की गणना भी की है। लेकिन इन सबके बीच 1950 के बाद पहली बार ऐसा दौर आया है जब जनसंख्या बढ़ने की रफ्तार धीमी हो गई है। 2020 में जनसंख्या बढ़ोतरी की दर 1 प्रतिशत से भी कम रही। जनसंख्या बढ़ोतरी की दर में आई गिरावट का प्रमुख कारण पिछले कुछ दशकों में कई देशों में प्रजनन क्षमता में देखी गई तेज़ गिरावट है। आज विश्व की आबादी का दो तिहाई हिस्सा ऐसे क्षेत्र में रहता है जहां महिलाओ की प्रजनन दर 2.1 फीसदी से भी कम है।

    दुनिया की आबादी को 7 अरब से बढ़कर 8 अरब होने में 12 साल का वक्त लगा। लेकिन अब इस 8 अरब से 9अरब होने में करीब 15 साल का समय लगेगा। इससे पता चलता है कि दुनिया में जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आ रही है। UN के मुताबिक़ 61देशों या क्षेत्रों की आबादी में 2022 और 2050 के बीच 1फीसदी की कमी होने का अनुमान है।
    UN की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022 में दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले 2 क्षेत्र एशिया से हैं। इनमे दक्षिण पूर्वी एशिया में 2.3 बिलियन और मध्य दक्षिणी एशिया में 2.1 जनसंख्या के साथ शामिल हैं। इन दो क्षेत्रों में भी ज्यादा आबादी का कारण चीन और भारत हैं। वही 2050 तक दुनिया की आबादी में होने वाली बढ़ोतरी 8 देशों पर केंद्रित रहेगी , जिसमें भारत,पाकिस्तान , कांगो , मिस्र, इथियोपिया, नाइजीरिया, फिलिपींस ओर तंजानिया शामिल हैं।

    इस रिर्पोट में ये भी जानकारी मिली की वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर में भी गिरावट आई है। 2019 की गणना के मुताबिक़ दुनिया की औसत मृत्युदर 72.8 साल है। 1990 के बाद से इसमें करीब 9 साल की बढ़ोतरी हुई है। यह 2050 तक करीब 77.2 साल पहुंच सकती है। यानी आने वाले समय में मृत्युदर और कम हो जाएगी और इंसान की औसत आयु में बढ़ोतरी होगी।
    साथ ही रिर्पोट में इस बात का भी जिक्र है कि गरीब देशों में जनसंख्या वृद्धि की दर में बढ़ोतरी देखी गई है। इसमें ज्यादातर उप सहारा अफ्रीका के देश शामिल हैं।